एक झूट को छुपाने की खातिर सौ झूट का सहारा लिया, एक सनकी की सनक ने कर दिया देश को बर्बाद ?
रिपोर्टर.
क्या मोदी की नोटबंदी भारत की अर्थव्यवस्था पर परमाणु बम की बमबारी सिद्ध हो चुकी है? ज़रूर पढ़िए इस खबर को
नोट बंदी की वजह से देश की अर्थ व्यवस्था पर परमाणु बम बमबारी की साबित हो रही है
और इससे कोई यदि इंकार करता है तो निश्चित रूप से वह निष्पक्ष नहीं है।
जनता का ध्यान वित्तीय व्यवस्था के विध्वंश से हटाने के लिए सरकार तमाम ऐसे प्रयास कर रही है जिससे यह नोटबंदी के फैसले का अगला चरण लगे , यह पूरी तरह विफल फैसले को बचाने की एक कोशिश भर है!
ईडी और आयकर विभाग द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में छापामारी करना और उसमें पकड़े गये कुछ लाख या करोड़ की मामुली रकम और उसका अपने खरीद लिए गये मीडिया द्वारा ब्रेकिंग न्यूज़ चलाकर प्रचारित करना केवल नोटबंदी की विफलता बचाने का कवरअप है
जो पाकिस्तान की सेना बार्डर पर करती रही है।
30 दिसंबर समाप्त होते ही इनकम टैक्स के छापे भी लगभग समाप्त हो गये। तो दोनों का संबन्ध समझा जा सकता है।
ईडी की या आयकर विभाग की छापेमारी का नोटबंदी से कोई संबंध नहीं है , यह विभाग पहले भी छापेमारी करते रहे हैं !
और यह इनके कार्यक्षेत्र में सदैव से रहा है और जबतक कि कोई बहुत भारी रकम छापे में नहीं पकड़ी गयी हो उसकी चर्चा होती भी नहीं थी।
मेरे अपने शहर में ही आयकर विभाग ऐसे ही तमाम छापे और सर्वे साल में सैकड़ों करता रहा है जिसकी कभी ना तो चर्चा हुई ना उसे राजनैतिक लाभ के लिए कभी प्रयोग किया गया ,
आप सभी के शहरों में भी छापे और सर्वे होते रहे होंगे!
दरअसल नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए रिज़र्व बैंक आफ इंडिया , आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय का जमकर प्रयोग किया जा रहा है
पहले केवल सीबीआई “तोता” थी अब आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय भी तोता हो चुका है!
नोटबंदी का एकमात्र उद्देश्य जो 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश में बताया था वह केवल और केवल “कालेधन और भ्रष्टाचार” को देश से समाप्त करने के लिए था
, प्रधानमंत्री ने उस संदेश में कुछ दिनों की परेशानी की बात कही थी , फिर बात को बदलते हुए कहा कि
मैंने देश से 50 दिन माँगा था मुझे 50 दिन दे दीजिए उसके बाद आपके सपनों का भारत ना दे सका तो जिस चौराहे पर चाहे सज़ा दे देना!
50 दिन बाद भारत सोने की तरह चमकने लगेगा?
देश ने प्रधानमंत्री का साथ दिया , लाइन में लगा , व्यापार में हुए 90% नुकसान को देशहित में स्विकार किया , और 120 लोगों ने लाईन में लगकर अपनी बलि भी दी , तमाम शादियों की डेट आगे के लिए बढ़ा दी गयीं या कैन्सिल ही कर दी गयीं!
लोगों ने कैश की अनुपलब्धता के कारण अपनी बहुत सी इच्छाएँ मारीं और अपनी बहुत सी ज़रूरतों को त्याग दिया सिवाय देश के प्रधानमंत्री के जो एक दिन में 5-5 बार अपने कपड़े बदलते रहे।
50 दिन के अंदर ही रिज़र्व बैंक द्वारा 120 बार आदेश पर आदेश जारी किए गये और देश को भ्रमित किया गया , डराया गया और धमकाया गया!
नोटबंदी के कारण बैंकों में जमा होते गये ₹500-₹1000 की करेन्सी के आँकड़े आते ही सरकार को समझ में आ गया कि यह फैसला पूरी तरह गलत होने जा रहा है ,
रिज़र्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा घोषित आँकड़े के अनुसार अब तक उसके द्वारा जारी सभी पुरानी करेन्सी बैंकों में जमा हो चुकी है और सरकार की यह गणना कि ₹ 5 लाख करोड़ तक रकम बैंकों में जमा ना होकर रद्दी हो जाएगी
और सरकार की इस मूल्य की देनदारी समाप्त हो जाएगी जिससे देश के खज़ाने में ₹5 लाख करोड़ तक की बढ़ोत्तरी होगी
, ना ही पूरी तरह विफल हो गयी बल्कि रिज़र्व बैंक और भारत की पूरी वित्तीय व्यवस्था ही संदिग्ध हो गयी क्युँकि पूरी रकम जमा होने के बाद भी अभी नेपाल और देश विदेश में बहुत भारी मात्रा में पुरानी करेन्सी उपलब्ध है!
भारतीय रिज़र्व बैंक और वित्तीय व्यवस्था को संदिग्ध यह सवाल करता है कि क्या रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित जारी रकम का मूल्य झूठा था या चुपचाप ₹ 3 लाख करोड़ की डुप्लीकेट करेन्सी छापने की खबर जो मीडिया में आई थी वह सच्ची थी?
खैर इस सरकार में यह सच सामने आएगा भी नहीं क्योंकि सरकारी संस्थाओं का अपने राजनैतिक हित के लिए प्रयोग करना और आँकड़ों को गलत और तोड़ मरोड़ कर जनता को दिखाना और फिर उसे अपने खरीदे गये मीडिया द्वारा ब्रेकिंग न्यूज़ दिखा कर प्रचारित करना इस सरकार की सबसे बेहतरीन योग्यता है?
कहने का अर्थ यह है कि सरकार द्वारा घोषित नोटबंदी पूरी तरह विफल हो चुकी है और इसने देश की अर्थव्यवस्था की जड़ खोद दी है , ज़रा सोचिएगा कि इस कारण देश में हुए कुल व्यापार के नुकसान का 20 से 50% तक मिलने वाला राजस्व कितना देश को नहीं मिला , ज़रा सोचिएगा कि व्यापार में 80-90% गिरावट के बाद व्यापारी और उद्योगपतियों के लाभ में होने वाले गिरावट और उसपर होने वाले 30% के आयकर का नुकसान कितना होगा ? आप गणना करेंगे तो हिल जाएंगे!
अनुमान के अनुसार देश को नोटबंदी के कारण हुआ कुल नुकसान लगभग 3•5 लाख करोड़ का है और नोटबंदी का कुल खर्च लगभग 1•25 लाख करोड़ का अर्थात एक सनकी के सनक भरे फैसले ने देश का लगभग ₹5 लाख करोड़ का प्रत्यक्ष नुकसान कर दिया ,
और देश फिर भी उम्मीद लगाए बैठा है तो उसका बौद्धिक स्तर समझा जा सकता है।
इस ₹5 लाख करोड़ के नुकसान से देश का ध्यान हटाने के लिए सरकार आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय के छापों में पकड़े गये 200-500 करोड़ रुपये को प्रचारित कराकर इसे नोटबंदी की सफलता से जोड़ रही है
देश के 31% लोग इसे सच मान रहे हैं तो यह केवल उनकी ज़हरीली बुद्धि के कारण मात्र है।
दरअसल सरकार को नोटबंदी के फैसले के विफल होने का एहसास 10 दिनों में ही हो गया इसीलिए “कालेधन और भ्रष्टाचार” से शुरु हुई यह बयानबाज़ी , आतंकवाद , से होते हुए “कैशलेस” और डिजिटल इकानामी पर आकर प्रचारित होने लगी!
और इसे नोटबंदी के आगे के क्रम में जोड़ कर प्रचारित किया जाने लगा। अब यह खबर है कि बैंकों से अपना ही पैसा निकालने पर सरकार टैक्स लगाने वाली है , यह सीधी सीधी गुंडई है और सरकार बैंकों की कमाई कराने के लिए जनता पर कैश निकालने के लिए अंकुश लगाने जा रही है कि अधिक से अधिक लोग “डिजिटल ट्रांजेक्शनय” करें और उस ट्रांजेक्शन पर कर लगभग 2% चार्ज बैंको को दें।
दरअसल यह डिजी-धन भी सरकार की एक चाल है और यह भी देश को उलझाने और परेशान करने की एक योजना सिद्ध होगी?
जिसमें देश के नागरिक अपनी निजता खोकर सरकार के सामने नंगे खड़े हो जाएँगे।
डिजिटल ट्रान्जेक्शन से सरकार ट्रान्जेक्शन नंबर की डिटेल के द्वारा यह पता कर सकती है कि आपने या हमने क्या खाया , क्या पीया , कहाँ गये , कैसे गये , घर में कौन सी सब्जी बनी , आपके या हमारे घर में कितना चावल कितना आटा दाल लगता है और फिर उससे अधिक खतरनाक जानकारी जो सरकार प्राप्त करेगी वो आपके हमारे बेडरुम में घुसकर।
किसने कितना कंडोम खरीदा और खरीदा तो किस साइज़ का खरीदा और एक महीने में कितना खरीदा , ब्रा पैन्टी खरीदी तो कितनी खरीदी और किस साइज़ की खरीदी , नैपकीन पैड खरीदा तो कितना खरीदा और किस साइज़ का खरीदा , लार्ज , मीडियम या स्माल?
अर्थात सरकार सबकुछ जान लेना चाहती है और भारत के भ्रष्ट सिस्टम में आपकी निजता आपका कौन सा खुन्नस रखने वाला मित्र ट्रान्जेक्शन आईडी से भ्रष्टा तंत्र से पता लगा सकता है और यह सब भी होगा।
एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोलना पड़ता है और इसी तरह एक गलत फैसले को छुपाने के लिए यह सरकार 100 गलत फैसले लागू करती जा रही है?
सोचिएगा ज़रा कि आप “डिजी-धन” से कैसे “नग्न” होने जा रहे हैं।