ऐसा भी एक प्रधान मंत्री जो खुदको फकीर बतलाकर झोला उठाकर चलते बनने की बात करता है
विशेष
संवाददाता एवं ब्यूरो
अपना क्या है, अपन तो फकीर आदमी हैं, झोला उठाएंगे और चले जायेंगे।
चच्चा ओ चच्चा, अब झोला न उठने का तुमसे, झोला भारी हो चुका है।
इस फकीर के झोले में क्या है
इस फकीर के झोले में तो मणिपुर की पीड़िता के कपड़े हैं, झोले में लाशे हैं, किसान आंदोलन के किसानों की, नोटबंदी की लाइनों में मरे गरीबों की, झोले में पुलवामा के शहीदों की लाश के टुकड़े भी हैं,
झोले में खून की पोटलिया भी हैं, दंगो में मारे गए लोगों के खून की, झोले में काला धन रखने वालो की सूचियां भी है, इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पे वसूला हजारो करोड का माल है PM केयर का माल है।
2 हजार की 2 लाख करोड की नोट गायब है इस का भी तो हिसाब देखना है ।
नकली रेड मरवा कर हजारो करोड लपेटा है वो भी जमा है झोले में।
और झोले में संविधान की जली हुई प्रतियों की राख भी है,
आम जनता तुम्हारे झोले से निकलने वाली सड़ी हुई दुर्गंध से पागल हो चुकी है, एक दूसरे को काटने को दौड़ रही है, इसलिए तुम अपना झोला लेकर भागने का सोचना भी नहीं बिना हिसाब दिये कहीं नहीं जाएगा । अगर झोला उठाकर कहीं गायब होना है तो पहले आम जनता की इन सब का जवाब और हिसाब देकर चले जाना फकीर साहब। वर्ना तुम्हे आम जनता कभी माफ नहीं करेगी। मरते दम तक तुम्हे बददुआए सताती रहेगी।
संवाद; पिनाकी मोरे