क्या अब देशकी न्यायपालिका के दरवाजे ओबीसी ,इस सी, और एस टी के लिए होंगे बंद?

रिपोर्टर:-
सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपने रिटायरमेन्ट के अन्तिम समय पर SC/ST के जज बनने के मौके पर समाप्त किया। प्राप्त मैसेज देश की न्यायपालिका के दरवाजे OBC/SC/ST के लिए होंगे बंद।
संघ के आंगन में नाच रहा है सुप्रीम कोर्ट को चरितार्थ करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने अपने रिटायरमेंट [23/04/2021] से 2 दिन पहले भारत की न्याय – पालिका (हाई कोर्ट) को ठेके पर देने पर मुहर लगा दी है!
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [ RSS ] समर्थित एक संस्था की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया , जिसके अनुसार अब प्राइवेट एजेंसी/कॉलेजियम के माध्यम से हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति ठेके से कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर संभव होगी।
अगर यही भर्ती रेगुलर माध्यम से किसी प्रतियोगी परीक्षा (All India Service) के माध्यम से होती तो इसमें संविधान के अनुसार,
SC/ST/OBC के कई युवा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज बनते।
परंतु कैबिनेट सेक्रेटरी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बिना IAS (UPSC) के परीक्षा पास करने वाले लोगों (चमचो) की नियुक्ति संभव करने वाले RSS और उसकी समर्थित सरकार यह कैसे संभव होने देती ?
मां. सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह सीधा – सीधा SC/ST/OBC के संवैधानिक अधिकारों पर बड़ा हमला है।
देश की बहुसंख्यक आबादी को प्रभावित करने वाली इतनी बड़ी खबर को हमेशा की तरह ये गोदी मीडिया दबाए बैठा है!
कई लोगों को तो यह भी मालूम नहीं होगा कि – हमारे देश में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सारे जज सिर्फ 300-400 परिवारों से हैं।
और आप समझ गए होंगे कि इनमें से अधिकतम परिवार किस जाति विशेष से हैं?
यानी कि हमारे देश की न्यायपालिका पर खुल्लम खुल्ला एक जाति विशेष का कब्जा है!
यही कारण है कि -विगत वर्षों में पॉलिसी मैटर पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सारे जजमेंट SC/ST/OBC के विरुद्ध आए हैं।
और अब रही सही कसर ये ठेके पर नियुक्त होने वाले जज पूरी कर देंगे।
इसे एक लोकतांत्रिक देश की विडंबना ही कहेंगे कि – देश की 85% आबादी (SC+ST+OBC) का न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व लगभग शून्य (Zero) हैं।
कितने दुख की बात है कि – हमारे देश में ” एक भी आदिवासी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं है?
और SC/OBC की स्थिति भी तकरीबन ऐसी ही है।
तो बहुजनों को न्याय कैसे मिलेगा ?
तो भाई अब तैयार हो जाओ!
SC/ST/OBC के लोगों को न्याय तो पहले ही बहुत मिल रहा था और अब इस ठेका प्रथा से अब आगे क्या न्याय मिलेगा।
RSS की योजना के अनुसार यह क्या मनुस्मृति लागू करने की कायॅवाही है?