क्या उस तपिश के दर्द से इसका टकले फूटने का दर्द ज्यादा है

विशेष
संवाददाता

पट्टियां बढ़ती गयीं_
ज्यों ज्यों षड़यंत्र का प्रपंच बढ़ता गया

2:00 बजे नॉर्मल था
3:00 बजे पीएम से बात हुई
4:00 बजे सीरियस हो गया!

इतनी ओवर एक्टिंग भी ठीक नहीं है।
इसकी कीमत स्वर्ग जाकर चुकानी पड़ सकती है।
इस तरह बढ़ते बढ़ते
कहीं‌ लोटे में ना पहुंच जायै।
सत्ता के लालची वो दोनों
क्रुर भी हैं,मूर्ख भी हैं और आदमखोर भी हैं
और ये कम्बीनेशन ग्रहण का कारक है।

पता नहीं बेचारा बचेगा की नहीं,
कहीं शहजादे को फंसाने के चक्कर में
अपना राम नाम सत्य ना करवा दे।
क्योंकि पुलवामा हो सकता है
तो सारंगी का बाजा भी बज सकता है।

प्रताप सारंगी को मामूली चोट लगने पर पूरा BJP और न्यूज़ चैनल हाय तौबा मचा रहे हैं।

इस प्रताप सारंगी की असलियत आप लोग जानकर हैरान हो जाएंगे.

1999 में ओड़िसा में VHP नेता दारा सिंह ने ईसाई मिशनरी ग्रैहम स्टेन्स और उनके दो बच्चों को बंद जीप में जिंदा जला दिया था।

तब प्रताप सारंगी ओड़िसा में VHP अध्यक्ष थे। इस अमानवीय घटना में उनका भी नाम आया लेकिन पुलिस सामने कहा : मैं दारा सिंह को नही जानता और ना ही दारा सिंह VHP से जुड़ा है?

विश्व बिरादरी ने इस घटना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कड़ी फटकार लगाई।

इसी कश्मकश में सर्वोच्च ईसाई धर्म गुरु पोप जॉन पॉल को भारत आना पड़ा। पूरे विश्व में इस अमानवीय घटना के लिए थू थू हो रहा था।

सोचकर देखिए उस रात बंद जीप में ग्राहम स्टेन्स और उनके दो छोटे बेटे जिंदा जले थे, उस तपिश में उनकी चीख पुकार…. सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।.
क्या उस तपिश के दर्द से इसका टकले फूटने का दर्द ज्यादा है ?

संवाद: पिनाकी मोरे

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT