दलित पिता ने मृत पशु उठाने का काम छोड़ा तो उसके नाबालिग बेटे को बेरहमी से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
प्राप्त सुत्रीं के मुताबिक
पीड़ित लड़के ने बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों ने उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं। से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
प्राप्त सुत्रीं के मुताबिक
पीड़ित लड़के ने बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों नेदलित पिता ने मृत पशु उठाने का काम छोड़ा तो उसके नाबालिग बेटे को बेरहमी से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
प्राप्त सुत्रीं के मुताबिक
पीड़ित लड़के ने बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों ने उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं। उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं।दलित पिता ने मृत पशु उठाने का काम छोड़ा तो उसके नाबालिग बेटे को बेरहमी से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
प्राप्त सुत्रीं के मुताबिक
पीड़ित लड़के नेदलित पिता ने मृत पशु उठाने का काम छोड़ा तो उसके नाबालिग बेटे को बेरहमी से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
प्राप्त सुत्रीं के मुताबिक
पीड़ित लड़के ने बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों ने उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं। बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों ने उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं।दलित पिता ने मृत पशु उठाने का काम छोड़ा तो उसके नाबालिग बेटे को बेरहमी से पीटा।
गुजरात के अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर भावरा गांव में 15 साल के दलित लड़के की बेरहमी से पिटाई की गई. गांव के दो लोगों ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा कि उसके पिता ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है।
लड़के के शरीर पर जख्म के निशान उस पर हुए अत्याचार की कहानी बयां कर रही हैं. इस घटना को 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन वह अब भी खौफ में है.
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पीड़ित लड़के ने बताया कि दो दिन पहले अचानक उसे रोककर गांव के दो लोगों ने उसे पूछा कि उन लोगों ने मृत पशु उठाना क्यों बंद कर दिया है. जब उसने बताया कि उसका समाज अब ये काम नहीं करेगा, तो उसकी जमकर पिटाई की गई.
पीड़ित के पिता दिनेश परमार का कहना है कि घटना से पूरे गांव के दलितों में भय का माहौल है. गांव में ओबीसी समुदाय का दबदबा है. परमार का कहना है कि उन्होंने ऊना अत्याचार की घटना के बाद से ही मृत पशु उठाने का काम बंद करने का फैसला किया है.
इस बीच पुलिस ने दोनों आरोपी साहिल ठाकोर और सरवर पठान को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन दलित परिवारों में डर है कि आरोपी के परिवार उनसे बदला ले सकते हैं।