देश के होम मिनिस्टर को जूता उतारने से परहेज, अगर कुछ कर नहीं पाते तो उतर जाए कुर्सी से

विशेष संवाददाता

क्या अमित शाह जूता नहीं उतार सकता था?

क्या जूता उतार देते तो जान चली जाती?

आप देश के गृह मंत्री हैं. वहां नरसंहार हुआ है।. 27 लाशों रखी हुई हैं। यह उचित है कि उन्हें श्रद्धांजलि दी जाए लेकिन इनके लिए रेड कॉरपेट क्यों बिछाया?

आप अगर जमीन पर पांव रख देते तो पांव मैले हो जाते क्या?
अगर यह प्रोटोकॉल है तो भी अत्यंत शर्मनाक है!
आपको यूपीए सरकार के गृहमंत्री शिवराज पाटिल याद हैं?

सितंबर, 2008 में दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए. कांग्रेस के शिवराज पाटिल उस समय गृहमंत्री थे। दिन भर में दो तीन बार नये-नये सूट बदलकर दिखाई पड़े।. जनता चिढ़ गई कि देश पर ऐसा गंभीर संकट है और ये आदमी घड़ी-घड़ी सजने-संवरने में लगा है.। उनकी खूब आलोचना हुई। चैनलों ने, मीडिया ने सवाल उठाए. कांग्रेस ने उनका इस्तीफा तो नहीं लिया, लेकिन आपात बैठक में उनको नहीं बुलाकर यह संदेश दे दिया कि सुधर जाओ वरना कांग्रेस सरकार में शामिल कुछ नेताओं ने ही कहा कि वे सरकार पर बोझ बन गए हैं।

इसके बाद नवम्बर में मुम्बई हमला हुआ तो पाटिल फिर निशाने पर आ गए कि इनसे आंतरिक सुरक्षा नहीं संभल रही। आखिरकार उनका इस्तीफा ले लिया गया उन्होंने जिम्मा लेते हुए इस्तीफा दे ही दिया।. उसके बाद पी चिदंबरम ने पद संभाला था।.

दूसरी तरफ, नरेंद्र मोदी हैं। पुलवामा हमला हुआ तब जिम कार्बेट में वन​ विहार कर रहे थे।. एक फिरंगी के साथ नौकाविहार, आखेट और हाथी का गोबर सूंघने वाली क्रीडा में बिजी थे। किसी फिल्म शूटिंग भी कर रहे थे।. हमले के दिन वे शाम तक नदारद दिखाई रहे और कहा गया कि अधिकारियों को निर्देश था कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए।. शाम तक उन्हें सूचना ही नहीं हुई के देश पर हमला हुआ है।

हमले के अगले दिन ही मोदी रैलियां कर रहे थे और अमित शाह भी पुलवामा का पोस्टर लगाकर शहीदों के नाम पर बेशर्म होकर वोट मांग रहे थे।. पुलवामा हमले को लेकर जब सर्वदलीय बैठक हो रही थी तब भी प्रधानमंत्री मोदी उस बैठक में न जाकर रैली कर रहे थे। आजतक पता नहीं लगा सके कि 300 किलो आरडीएक्स कहां से आया? अबतक इस बात को छुपाया गया!

कश्मीर की सुरक्षा केंद्र सरकार के पास है। वहां पर नरसंहार हुआ है और ये रेड कॉरपेट का मजा ले रहे हैं।. सुरक्षा की इतनी बड़ी नाकामी कि जहां पर 2000 पर्यटक मौजूद थे, वहां पर एक सिपाही तक नहीं था। इन्हीं के राज में पूरा मणिपुर बर्बाद हो गया।. ट्रंप इंडिया आए तो इनकी नाक के नीचे दिल्ली दंगा हो गया। और अब अमेरिकी उपराष्ट्रपति आया तो यह हमला हो गया। ये सब कैसा तमाशा है?

देश के इस झूठे और निकम्मे गृह मंत्री की जवाबदेही शून्य है। ये सब मिलकर देश से झूठ बोलते हैं। कहा गया था नोटबंदी में आतंक की कमर टूट गई थी। फिर 370 के बाद पूरी तरह आतंकवाद मर गया था। 9 साल से गाना गा रहे हैं कि कश्मीर में सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन इस असफलता पर इनसे कोई जवाब नहीं मांगेगा।. कोई नहीं कहेगा कि आतंरिक सुरक्षा संभाल रहे ये अमित शाह देश पर बोझ बन गए हैं। इनका काम केवल चुनावी रैली और भाजपा की कुर्सी बचाए रखने तक ही सीमित रह गया है।
ये सबसे नाकाम, अनपढ़ और नकारे गृहमंत्री हैं।. न जाने देश इनको कबतक बोझ की तरह ढोएगा?

याद रखिए जनाबे आला
कुर्सी है तुम्हारा ये जनाजा तो नहीं है,
कुछ करने की ताकत नहीं रख सकते तो उतर क्यों नहीं जाते कुर्सी से क्यों चिपके पड़े रहे हो?

साभार;
पिनाकी मोरे

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT