प्राण प्रतिष्ठान की खूब चलाई वाह वाही पर मंदिर की छत टपक रही है , मोदी जी

अयोध्या मंदिर रेडी होने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठान पर हो हल्ला मचाया गया और उद्घाटन भी असमय किया गया क्योंकि लोक सभा चुनाव होने की तारीखें डिकलर हो चुकी थी। अब बरसात का आगमन शुरू है। बरसात का पानी मंदिर की छत से टपक रहा है। लेकिन इसपर कोई तवज्जो नहीं।

हे राम!
राम मंदिर की छत टपक रही है
राम लल्ला अपने नये मंदिर में भीग रहे हैं।
अयोध्या की नई बनी सड़क रामपथ में उन्नीस गड्ढे हैं।
सोचिए राम कितने बड़े धोखेबाज़ों से घिर गये हैं?

एक यक्ष प्रश्न है कि राम के साथ धोखा करने वाले क्या राक्षस नहीं हैं?
छल कपट की एक मानवीय सीमा होती है! यह तो अमानवीय बेईमानी है। यही शायद असुरी वृत्ति कही गई है।

गर्भ गृह के अंदर से पानी निकासी का प्रबंध भी नहीं है। इससे पूजा अर्चना में भी बाधा आ रही है। जब घर से पानी नहीं निकले पाता है तो अपशगुन होता है। जल निकासी न होना वास्तु दोष की सूची में आता है।

सूर्य तिलक का भोंडा प्रबंध करने वाले पानी क्या सोखता कागज़ या कपड़े से पोंछ कर हटायेंगे?

हमे डर है कहीं इस बरसात में मंदिर गिर न जाए क्योंकि छत बड़ी है! पानी रिस कर अंदर समायेगा तो छत का भार बढ़ जाएगा। इस लिए हमारा सुझाव है मुख्य छत के ऊपर बरसाती लगा देनी चाहिए। पहले अंदर पानी का भराव रोका जाये ।

राम की मर्यादा बचे!
और क्या कहें?
राम के साथ धोखा करने वाले क्या राक्षस नहीं हैं?
यह राम की जनता की भावना से भी धोखा है।
राम के पुजारी स्तब्ध हैं। अयोध्या में मातम का माहौल है! आम जन अवसन्न हैं। किससे फरियाद करें? किसे वकील करें? किससे न्याय माँगें?
बोधिसत्व।

साभार;पिनाकी मोरे

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