बड़ा दावा मरकर जिन्दा हुए शख्स का खुलासा- बताया नर्क की आग में कैसे शरीर का मांस नोचते हैं शैतान, कितना होता है कष्ट ? क्या ये सत्य है?

images – 2021-07-10T194032.925

रिपोर्टर:-

मृत्यु इंसान के जीवनचक्र का सबसे रहस्यमय पड़ाव है।
इसके बाद आत्मा कहां जाती है और कैसे रहती है, इसका पता किसी को भी नहीं है।

इसी रहस्य पर से पर्दा उठाया है बिल वेज नाम के शख्स ने।
उसका दावा है कि वो 23 मिनट के लिए मरने के बाद ज़िंदा हो उठा और इस थोड़े से वक्त में उसने नरक की यातनाएं देखी हैं।
बिल वेज का कहना है कि वो 23 मिनट के लिए मौत की आगोश में चले गए थे।

इस दौरान उन्होंने देखा कि नरक में शैतान किस तरह शरीर से मांस नोच-नोचकर खाते हैं।
उन्होंने बताया कि लाखों लोग वहां दर्द से चिल्ला रहे थे।
उन्होंने दावा किया कि ये आउट ऑफ बॉडी अनुभव था, उनके मुताबिक आधी रात को उन्हें ये अनुभव तब हुआ, जब वे थोड़ी देर के लिए उठे थे।
बिल वेज ने अपना अनुभव बताते हुए कहा है कि ये रात करीब 3 बजे के आस-पास हुआ।

उन्हें अचानक लगा कि उनकी आत्मा उनके शरीर से खींचकर कोई लंबी सुरंग के ज़रिये कहीं ले जा रहा है।
इसी बीच गर्मी बढ़ती जा रही थी और वे आखिरकार एक जेलनुमा जगह पर पत्थरों से बने फर्श पर पहुंचे. वहां पत्थरों की ही दीवारें थीं. हर तरफ दुर्गंध और धुआं भरा हुआ था।
उन्हें अपनी जेल में दो शैतान दिखाई दिए. ये शैतान उन्हें सज़ा दे रहे थे।
वे बताते हैं कि वहां की गर्मी असहनीय थी और वे चकित थे कि आखिर यहां वे कर क्या रहे हैं।

आगे बिल कहते हैं कि शैतानों में कोई दयाभाव नहीं था. उन्होंने उन्हें जेल की दीवार पर पटक दिया।
इसके बाद उन्हें लगा कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गई हों. आत्मा में हड्डियां नहीं होतीं लेकिन ऐसा ही महसूस हुआ था।
वे बताते हैं कि उन्हें जेल में ही कुछ जलता हुआ महसूस हुआ जो शायद भगवान के होने का प्रतीक था लेकिन फिर से अंधेरा छाने लगा. उन्हें जेल से निकालकर एक आग के गड्ढे में फेंक दिया गया।
वे बताते हैं कि उन्हें यहां हजारों की संख्या में लोग चिल्लाते और झुलसते हुए दिखाई दिए।
उनके शरीर से मांस नोचे जा रहे थे. वे किसी कंकाल की तरह लग रहे थे।

बिल का कहना है कि तरह-तरह की यातनाएं उन्हें नरक में दी गईं।
उन्हें अकेला रखा गया, यहां बहुत बुरी दुर्गंध आ रही थी।
वे बताते हैं कि जब वे उठे तो वे सुरक्षित थे और तब उन्हें अहसास हुआ कि ये 23 मिनट वे नरक में गुजार कर आ रहे हैं।
उन्होंने अपने इस अनुभव पर साल 2006 में एक किताब भी लिखी थी।

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT