मोदी,अमितशाह और भारत की अर्थ व्यवस्था ICU में
विशेष
संवाददाता
आइसीयू में सारंगी और राजपूत नहीं है
आइसीयू में मोदी, अमित शाह और भारत की अर्थव्यवस्था है. मोदी और शाह को समझ में नहीं आ रहा है कि इन परिस्थितियों से कैसे निपटें?
विगत दस साल में नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राजीव गांधी एवं नेहरू को गाली देने के अलावा सिर्फ एक और काम किया है- वो है केवल अडानी के लोन माफ़ करना एवं देश की तमाम परिसंपत्तियों को निर्लज्जता पूर्वक अपने कारपोरेट मित्रों को सौंपना।
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने झूठ फरेब की राजनीति और कारपोरेट मीडिया/ घरानों के छल प्रपंच की बदौलत सत्ता पर कब्जा किया था तब एक डॉलर के लिए 61₹ खर्च करना पड़ता था। आज एक डॉलर के लिए 85 ₹ देना है।
रुपए के औंधे मुंह गिरने के कारण आयात बेतहाशा महंगा हो गया है और निर्यात से होने वाली आमदनी लगातार घटती चली जा रही है। इसके कारण व्यापार संतुलन गड़बड़ा गया है।
रूपये को बेतहाशा गिरने के बचाने के लिए रिजर्व बैंक लगातार संचित डॉलर को ओपन मार्केट में लूटा रहा है। इसके बावजूद रुपए में गिरावट जारी है।
इन स्थितियों से सख्ती से निपटने के बजाय नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अपनी पूरी ऊर्जा राहुल गांधी को राजनीतिक रूप से समाप्त करने में खर्च की है और आज भी वही कर रहे हैं।
सख़्त वित्तीय प्रबंधन की जगह मोदी ने 12 लाख करोड़ रुपए के कारपोरेट लोन को बट्टे खाते में डाल दिया, लगातार कारपोरेट टैक्स घटाया गया एवं नियम कानून को धता बताकर अपने कारपोरेट मित्रों को आसान शर्तों पर असिमित कर्ज दिलवाया है।
अधिकांश बैंक के पास नकदी की कमी है और देश के सबसे बड़े बैंक ,भारतीय स्टेट बैंक को इससे निपटने के लिए लोन लेना पड़ा है।
नौकरी करो नहीं नौकरी दो के नारे लगाकर देश के सरकारी प्रतिष्ठानों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में मिलने वाली नौकरियां समाप्त कर दी गई। स्टार्टअप पर जमकर पैसा लूटाया गया जो अब बंद हो चुके हैं। हकीकत में स्टार्टअप भाजपा नेताओं एवं संघियों के बच्चों के लिए शुरू की गई सुनियोजित लूट थी।
बेरोज़गारी एवं महंगाई लगातार बढ़ रही है।. जनता के पास खर्च करने के लिए पैसों की आमद घट रही है। जिसका असर बाज़ार में देखने को मिल रहा है। उद्योगों को अपना उत्पादन कम करना पड़ा है और कर्मचारियों की छंटनी हो रही है।
अंबानी की विदेश स्थित सेल कंपनियों के सहारे शेयर बाजार में निवेश कर उसे लगातार बढ़ा कर जनता का पैसा लूटा जा रहा था। लेकिन अब वहां भी बूम समाप्त हो गया है और सेंसेक्स लगभग 8000 प्वाइंट गिर चुका है। अब अडानी अंबानी चाहकर भी नरेंद्र मोदी को इस बदहाली में कोई राहत पैकेज देने की स्थिति में नहीं है।
इस अराजक स्थिति से देश का ध्यान भटकाने के लिए मोदी और शाह एक बार फिर राहुल गांधी का सहारा ले रहे हैं। राहुल गांधी पर हत्या की कोशिश एवं महिला सांसदों के साथ बदतमीजी का झूठा केस किया जा चुका है।
परिस्थितियों का आकलन किया जा रहा है और यदि जरूरत पड़ी तो राहुल गांधी को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
देश बर्बाद हो जायेगा इसकी फिक्र मोदी को नहीं है। उनका एकमात्र मिशन किसी तरह 2029 तक सत्ता में चिटके रहना है। इसके लिए उनके पास राहुल की बलि लेने और मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने के सिवाय कोई विजन नहीं है। अंध भक्तों को भी इस मिशन में काम पर लगा रखा है। जो दिन रात हिन्दू मुस्लिम में नफरतें बांट रहे है।
साभार;पिनाकी मोरे