यूपीए सरकार ने 19साल पहले मनरेगा लागू किया था जो भारत के लिए संजीवनी साबित हुआ

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

डाक्टर मनमोहन सिंह जी और श्रीमती सोनिया गांधी जी धन्यवाद

आज से ठीक 19 साल पहले, 2005 में UPA सरकार ने MGNREGA – महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लागू किया था. ग्रामीण भारत के लिए यह ‘काम का अधिकार’ संजीवनी साबित हुआ।

MGNREGA से ना सिर्फ़ श्रम को उचित सम्मान मिला, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उबारने में सबसे कारगर कदम साबित हुआ. आज भी 13.3 करोड़ सक्रिय श्रमिक MGNREGA पर निर्भर हैं।

मोदी सरकार ने ना सिर्फ़ MGNREGA का मज़ाक़ उड़ाया बल्कि इस योजना के ख़िलाफ़ साज़िश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मज़दूरी को ढंग से नहीं बढ़ाया, योजना के अंतर्गत कार्य दिवस कम रखे, करोड़ों जॉब कार्ड हटा दिये, निरंतर MGNREGA का बजट घटाया।

लेकिन असलियत यह है कि जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्र में MGNREGA एक क्रांतिकारी कदम था, आज भयावह बेरोज़गारी के कारण शहरी क्षेत्रों में काम की गारंटी की ज़रूरत है।

भला हो MGNREGA और खाद्य सुरक्षा क़ानून का जिसने इस देश को थामा हुआ है – वरना झोले वाले ने हर हाथ कटोरा थमाने की पूरी तैयारी तो की ही हुई है।

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