ये अहम सवाल है कि अगर कोरोना संक्रमित बीमारी है, तो परिंदे और जानवर क्यों नही ! मरते ?

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रिपोर्टर:-

यह किस प्रकार की बीमारी है जिसमें ज्यादातर सरकारी लोग और वालीवुड के हीरो लोग ठीक हो जाते हैं मगरआम जनता की मौत हो जाती है?
कोई भी घर में या रोड पर तड़प कर नहीं मरता, हॉस्पिटल में ही क्यों मौत आती है?
यह कैसी बीमारी है, कोई आज पॉजिटिव है तो कल बिना इलाज कराए नेगेटिव हो जाता है?
कोरोना संक्रमित बीमारी है:- जो जलसे,आम सभा, चुनाव रैलीया और लाखों के प्रोटेस्ट में नहीं जाता!
अगर कोई गरीब नॉर्मल खांसी चेक कराने जाए तो चांद दिन बाद लाश बनकर आता है?
ये तो गजब का कोरोनावायरस है, जिसकी कोई दवा नहीं बनी, फिर भी लोग 99% ठीक हो रहे हैं?
यह कौन सी जादुई बीमारी है, जिसके आने सेअचानक ही बाकी की सब बीमारीया खत्म हो गई? अब जो भी मर रहा है सिर्फ कोरोना महामारी से ही मर रहा है?

जरा सोचिये !

साबुन और सैनिटाइजर से कोरोना मर जाता है तो इस को मारने की दवाई क्यों नहीं बनाई?
यह कैसा कोरोना है?
अस्पताल में गरीब आदमी के जिस्म का महंगा पार्ट निकालकर लाश को ताबूत में जिलेटिन से छुपाया जाता है।
किसी को भी इसे खोल कर नहीं देखने का हुक्म देकर बॉडी दी जाती है । जिस बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता है ऐसी क्या पीड़ा है?

है कोई जवाब ?

अगर है जरूर देना, अगर नहीं है तो सोचना कि कोरोना की आड़ में क्या चल रहा है?
कुछ अस्पताल से न्यूज आ रहीं हैं कि सुबह मरीज़ को भर्ती किया जाता है और शाम को दुखद खबर मिलती है कि मरीज़ की करोना से मौत हो गई!
क्या सुबह से शाम तक करोना की रिपोर्ट भी आ गयी और शाम को करोना से डेथ भी हो गयी, और लाश का अंतिम संस्कार भी हो गया?
इनके हिसाब से तो करोना की कोई स्टेज ही नहीं होती,
जो पहले पाजिटिव से नेगीतीव हुए, वो कैसे ठीक हुए?
15-20 दिन मे तो कनीका कपूर भी ठीक होकर घर चली गयी, आखिर ऐसा कौन सा इलाज था जो कनीका की 5 रिपोर्ट पोजिटिव आई और 6 रिपोर्ट मे नेगेटिव आई..।
गरीबो की सुबह रिपोर्ट पोजिटिव आती है और शाम को उसकी डेथ हो जाती है?
क्या गरीब और माध्यम बर्ग की सिर्फ एक ही रिपोर्ट आती है positive या negative या डेथ?
हैरानी की बात है की कोई खांसी, जुकाम, बुखार और कोई लक्षण नहीं फिर भी रिपोर्ट पॉजिटिव, कहीं कोई किडनी स्कैम तो नहीं हो रहा है?
किडनी ही क्यों आंख, लीवर, ब्लड, प्लाजमा और भी बहुत पार्ट हैं, क्या कोई बहुत बड़ा झोल हो रहा है?
अंतराष्ट्रीय बाजार में व्यक्ति के पार्टस की कीमत करोड़ो रूपये हैं, क्या कोरोना की आड़ में कोई षड्यंत्र चल रहा है?
क्योंकि मृत देह को घरवालों को देते नहीं और ना ही कोरोना के नाम से घर वाले बॉडी लेना स्वीकार करते हैं?
और बंद लिफाफे में क्या हुआ है बॉडी के साथ किसे पता?
सबको मिलकर ऐसा कदम उठाना होगा जिससे कम से कम S.C. की निगरानी में जांच हो, ताकी हकीकत सामने आए।
अपने हक अपने अधिकार को मत खोइए जागिये ।

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