शिकारी गिरोह किस की मिलीभगत से जंगलों में प्रवेश कर दुर्लभ जाति के जानवरो की शिकार कर लेते है ,जिम्मेदार कौन ?

रिपोर्टर:-
खूबसूरत पहाड़, पेड़-पौधे, औषधीय और वन संपदा, दुर्लभ जीव और समस्त प्रकृति की रक्षा हो संभव।
वनविभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना शिकारी जंगलों में प्रवेश नहीं कर सकते।
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग अमेरिका,
आस्ट्रेलिया और ब्राजील के अमेजन जंगलों की ओर बरबस ही ध्यान खींच रही है।
उत्तराखंड के जंगल अभी इतने गर्म नहीं हुए कि भीषण गर्मी को इसकी वजह माना जाए बल्कि यह किसी के द्वारा अपने तात्कालिक लाभ के लिए लगाई प्रतीत होती है।
इस आशंका की जांच होनी चाहिए। हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले दुर्लभ प्रजाति के अनेक बेशकीमती जानवर प्रचंड शीतकाल से बचने के लिए हजारों फीट ऊंचे शिखर से कम ऊंचाई पर उतर आते हैं।
मार्च-अप्रैल के महीने में शिकारियों को यह उनके शिकार का माकूल मौका लगता है।
आग की तपिश और धुएं से बचने के लिए जानवर अपने सुरक्षित स्थानों से निकलने को मजबूर हो जाते हैं।
इसी का लाभ शिकारी उठाते हैं और उनका गैरकानूनी शिकार करके उनकी खाल, बाल, सींग और अन्य अंगों का कारोबार करते हैं।
वनविभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ये शिकारी जंगलों में प्रवेश नहीं कर सकते।
उत्तराखंड सरकार को न सिर्फ गैरकानूनी शिकारियों पर बल्कि वन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर नकेल कसनी चाहिए,
ताकि खूबसूरत पहाड़, पेड़-पौधे, औषधीय और वन संपदा, दुर्लभ जीव और समस्त प्रकृति की रक्षा संभव हो सके।