आज के दौर में आए दिन मीडिया के खिलाफ उठाई जाती है उंगलियां। ऐसे में क्या करना पड़ेगा कलमकारों?

संवाददाता

सम्मानित प्रत्याशी गण!
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के निर्वाचन की तिथि बिलकुल निकट आ गई है , अब केवल एक दिन अर्थात आज 30 अगस्त ही प्रचार के लिए शेष रह गया है। इस चुनाव के जरिए जिन पदाधिकारियों का निर्वाचन होगा ,वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के ऐसे चेहरे होंगे जिनके कंधों पर राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य ‘ उत्तर प्रदेश ’ में केवल मान्यता प्राप्त / गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के करोड़ों गरीब , दु:खी, पीड़ित , असहाय इंसानों … के हितों – आकांछाओं की आवाज बनने की भी ज़िम्मेदारी होगी।

आज मीडिया के ऊपर उंगली उठाना एक फैशन जैसा हो गया है , तथ्यपूर्ण – तर्कपूर्ण आलोचनाओं का स्वागत है लेकिन शौकिया आलोचना के क्या मायने समझा जाय ? क्या अवमूल्यन केवल मीडिया का ही हुआ है तो फिर निशाने पर मीडिया ही क्यों? इसके अलावा आज पत्रकारों के समक्ष सुरक्षा का भी घोर संकट है

, विशेषकर अपराध पर खबर लिखने वालों और खोजी पत्रकारिता करने वालों पर। पत्रकार – सुलभ श्रीवास्तव प्रतापगढ़ , राकेश निर्भीक बलरामपुर , विक्रम जोशी गाजियाबाद की निर्ममतापूर्वक हत्या हुई लेकिन पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। मेरा मानना है कि मुख्य सचिव , अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव / विशेष सचिव – मुख्यमंत्री , अपर मुख्य सचिव ( गृह) और पुलिस महानिदेशक को आपसी समझबूझ से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सूचना विभाग , पुलिस विभाग और गृह विभाग की एक संयुक्त कमान बनाना चाहिए। यदि राज्य के किसी भी कोने के मान्यता प्राप्त / गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार के ऊपर सुरक्षा को लेकर खतरा सामने आता है तो मामला समिति के समक्ष रखा जाय। प्रकरण सही पाया जाय तो उसे गृह विभाग / पुलिस विभाग और सूचना विभाग के साझे फोरम पर रखा हम जाय ताकि तत्काल सक्षम कानूनी कार्रवाई हो सकें।

समिति के निर्वाचन में भाग करने वाले विभिन्न योग्य प्रत्याशियों ने पत्रकारों से संबद्ध कई मुद्दे उठाए है जिसके लिए वे बधाई के पात्र है लेकिन विधान सभा सत्र के दौरान पत्रकारों के बैठने और मंत्रियों ,विधान परिषद /विधानसभा सदस्यों से सवाल पूछने के लिए एक बेहतर जगह ‘ टंडन हाल ’ का छिन जाना कोई मुद्दा नहीं बन पाया। मैं इस चुनाव में सभी प्रत्याशियों और मतदाताओं से विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि 31 अगस्त को होने वाले समिति के चुनाव रूपी महोत्सव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष करवाने के लिए अपना योगदान करें।

कुछ इस तरह चलो तुम, दुनिया के साथ-साथ।
गर तुम न चल सको, तो तेरी दास्ता चले।

यथोचित अभिवादन के साथ ,
आपका स्नेहपात्र ,

साभार
नैमिष प्रताप सिंह , लखनऊ।
मो. नं. :

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