आज ही की तारीख 19नवंबर 636 में सहाबा किराम ने जंगे कादी सिया में फतह पाई थी
विशेष संवाददाता
जंगे क़ादिसिया
आज की तारीख में 19 नवंबर 636 ई. में सहाबा किराम ने जंगे क़ादिसिया में फतह पाई थी।
ये जंग बहुत फैसलाकुन थी इससे पूरे इराक़ में persian empire का खात्मा हो गया था। साद बिन अबी वक़्क़ास रज़ियल्लाहुअन्हु मुस्लिम फौज के सिपहसालार थे और रुस्तम पर्शियन एम्पायर का। 30-40 हज़ार की छोटी मुस्लिम फौज ने रुस्तम की तक़रीबन डेढ़ लाख की फौज को बहुत बुरी शिकस्त दी, रुस्तम भी क़त्ल हो गया।
सबसे हैरानी की बात ये थी कि हज़रत साद अरकुन्निसा के दर्द में बीमार थे, हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास रजि.एक ऊंचे मकान पे चढ़ गए वहीं से फौज को क़ासिद के ज़रिए संचालित कर रहे थे। रुस्तम जिससे रोमन भी खौफ खाते थे महज़ 3 दिन में मैदान छोड़कर भाग निकला लेकिन मारा गया।
जंगे क़ादिसिया जो हज़रत उमर रजि.की खिलाफत में हज़रत साद बिन अबी वक़्क़ास रज़ियल्लाहु अन्हु की सिपहसालारी में 16-19 नवंबर 636 में हुई। जब फारसियों को मालूम हुआ कि मुस्लिम सिपहसालार बीमार है तो उनको बहुत खुशी हुई लेकिन हज़रत साद एक ऊँचे मक़ाम पे चढ़ गए जहाँ से मैदाने जंग पूरा दिख रहा था, मुस्लिम फौज का जो भी हिस्सा कमज़ोर नज़र आने लगता तो एक खत लिखकर नीचे फेंक देते जिसे क़ासिद उठाकर तेज़ रफ़्तार घोड़ा से दूसरे हिस्से के कमांडर के पास ले जाता जो खत पढकर तुरन्त कमज़ोर हिस्से की मदद करने पहुंच जाता।
इस जंग में इरानियों ने अपने तमाम हाथियों को इस्तेमाल किया जो भारत से भेजे गए थे जिससे मुस्लिम फौज का बहुत बड़ा नुकसान हुआ लेकिन हज़रत साद ने इन हाथियों का भी तोड़ ढूंढ लिया तमाम कपड़ों को इकठ्ठा करके कुछ ऐसे लिबास बनाये जो पूरे ऊँट को पहनाया जा सके और ऊँट की पीठ पर कपड़ो का एक कमरा से बना दिया जिससे ऊँट बहुत भारी और अलग मख़लूक़ ही नज़र आती थी।
इन ऊँटो को देखकर हाँथी घबरा गए, जब इन ऊँटो के अंदर से तीर आने लगे तो हाँथियों के खौफ़ में इज़ाफ़ा हो गया और भगदड़ मचा दी, जिससे pershian फौज ही कुचलने लगी, यहाँ तक कि पर्शियन फौज बुरी तरह हार गयी और वो कहावत गलत हो गयी कि रुस्तम को कोई हरा नहीं सकता।
संवाद= मोहमद अफजल इलाहाबाद