इसमें कोई शक नही कि पहले दो तीन सालों में केजरीवाल सरकार ने कई बड़े अच्छे कार्य को अंजाम दिया लेकिन अब कुछ लोगों को वह बुरे लग रहे है?
जद्दोजहद चार सौ पार की नही…
चार सौ बीसी से पार पाने की है।
दिल्ली स्टेट के प्रमुख सचिव रहे आईएएस राजेन्द्र कुमार ने वालेंटरी रिटायरमेंट की मांग करते हुए सेवामुक्ति मांगी है।
राजेन्द्र कुमार 89 बैच के आईएएस है। गरीब परिवार से निकले राजेन्द्र कुमार ने पहले आईआईटी और फिर आईएएस पास किया। मिजोरम में बरसों पदस्थ रहे। हेल्थ, एजुकेशन, और तमाम विभागों के सचिव रहे। शिक्षा विभाग में नए किस्म का MIS लागू करने के लिए सरकार से पुरस्कृत कुमार के बुरे दिन, शुरू हुए जब दिल्ली की केजरीवाल सरकार में उन्हें मुख्य सचिव बना दिया।
कोई शक नही की पहले दो तीन सालों में केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य के मामले में।ताबड़तोड़ काम किये, लोकप्रियता में इजाफा हुआ, और इसके साथ वहां अफसरों के लिए मुसीबत खड़ी हो गयी।
द्वेष रखने वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली को पंचर करने के लिए ब्यूरोक्रेसी को डिस्टर्ब किया। ट्रान्सफ़र पोस्टिंग में उपराज्यपाल के जरिये दखल दिया, जिससे केजरीवाल की पकड़ टूट जाये।
और फिर भी जो अपना काम ईमानदारी से करते रहे, उनपे बिजली टूटी। आप सरकार को बदनाम करने के लिए तमाम किस्से गढ़े गए, छापे हुए, सर्च और गिरफ्तारी हुई। इसके छींटे अफसरों पर पड़े।
राजेन्द्र कुमार भी सस्पेंड हुए, पूछताछ हुई, तमाम कुचक्र से तंग किया गया। अब इस सिस्टम से उन्होंने तौबा कर ली है और मुक्ति मांग रहे है।
दूसरी ओर चंडीगढ़ पर एक आईएएस को मेयर इलेक्शन में धांधली करते देश ने देखा। कोर्ट ने फटकारा, लेकिन उसका बाल भी बांका नही हुआ है।
दरअसल पूरी व्यवस्था को एक चुनावी गैंग में तब्दील कर दिया गगवरनेंस, एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक वेलफेयर गया चूल्हे भाड़ में। येन केन चुनाव जीतना है, सत्ता पर कब्जा करना है।
ब्यूरोक्रेसी, जो प्रशासन का आयरन स्ट्रक्स्चर है, जो किसी पार्टी नही, देश की संचित निधि से वेतन पाने वाला पब्लिक सर्वेंट है, उसे पार्टी का नौकर बना लिया गया है।
नौकरी में रहकर पार्टी का काम करो, नौकरी से रिटायर होकर पार्टी जॉइन करो।
क्या आईएएएम, क्या जज, क्या फौजी अफसर, क्या संवेधानिक निकाय.. जो जहां बैठा है, वहां से चुनाव जितवाना है, सबको पार्टी का टूल बनना है।
और यह मशीनरी, जाहिर है वोट बढ़वा नही सकती, विपक्ष के घटवा सकती है। लड़ने से रोकना, गलत गिनती करना, पार्टी के उल्टे सीधे चक्रम का समय देने के लिए 10 फेज में चुनाव कार्यक्रम बनाना रोककर, छापे डालकर फर्जी हेडलाइनें बनवाना, क्रूशियल फेज में गिरफ्तारियां करना, पैसे-फंड्स को चोक करना.. दान देने वालो को धमकाना।
पूरा तंत्र किसी दाऊद भाई के गुर्गों का तंत्र बन गया है। जो इस गैंग के शूटर बन रहे है, अचूक निशाना लगाकर हत्याएं कर रहे हैः, वे महत्वपूर्ण जगहों पर बैठे हैं। जो इसमे शामिल नही होना चाहते, उनके लिए राजेन्द्र कुमार नजीर हैं। जिन्हें पेटी क्रिमिनल की तरह ट्रीट किया जा रहा है।
हमने दूषित राजनीति बहुत देखी है। लेकिन इतन दूषित प्रशासन पहली बार देखा है।
जहर नस नस में घुल चुका है। चोरों के गैंग में ईमानदार आदमी, ज़ात-बाहरी के रूप में देखा जाता है। राजेन्द्र कुमार जैसो के हटने के बाद, जो बचेगा, वह मारक जहर होगा।
यह जहर, लोकतन्त्र का खात्मा ऑलरेडी कर चुका है। अब बारी सिविल लिबर्टीज की है। दो माह बाद, 400 का दम्भ है।
इसके पीछे चार सौ बीसी का दम है। हमे किसी के चार सौ से सुख या दुख नही।
हमें इस चार सौ बीसी से निजात पानी है।