इसरो के सबसे एडवांस मौसम सेटेलाइट की सफल लॉन्चिंग जानिए इसकी खास खूबियां और कैसे देगा काम को अंजाम?
नई दिल्ली
संवाददाता
मोहमद अरशद यूपी
इसरो के सबसे एडवांस मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS की सफल लॉन्चिंग, जानिए खूबियां और कैसे करेगा काम
देश के सबसे एडवांस मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो गई है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से इसरो ने इस सैटेलाइट की लान्चिंग की। मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS को GSLV-F14 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। ISRO ने GSLV-F14 पर INSAT-3DS मौसम उपग्रह लॉन्च किया। इसका दूसरे फेज का प्रदर्शन सामान्य है और पेलोड बेयरिंग भी अलग कर दिया गया है।
श्रीहरिकोटा से INSAT-3DS लॉन्च
बात दे कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने शनिवार शाम 5.35 बजे GSLV-F14 रॉकेट के साथ तीसरी पीढ़ी के मौसम पूर्वानुमान संबंधी उपग्रह ‘इनसेट-3डीएस’ को लॉन्च किया। इस सैटेलाइट का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री ऑब्जर्वेशन के अध्ययन को बढ़ावा देना है। 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया।
मौसम अपडेट, आपदा को लेकर करेगा अलर्ट
इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी ये उपग्रह मौसम से जुड़े सटीक अपडेट में हेल्प करेगा। मौसम के साथ-साथ आपदा को लेकर भी अलर्ट जारी करेगी।ये सैटेलाइट इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम की जानकारी देगा, जिससे राहत और बचाव कार्य में काफी मददगार साबित हो सकेगा। ये सैटेलाइट खास तौर पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा।
INSAT-3DS सैटेलाइट से जुड़ी खास बातें
– INSAT-3DS भारत का तीसरी पीढ़ी का एडवांस मौसम सैटेलाइट
– ये मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए मॉडर्न सैटेलाइट है
– मौसम संबंधी अपडेट, जमीन और महासागर के सतहों की निगरानी के लिए किया गया डिजाइन
– पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और अन्य एजेंसियां, संस्थान इसका डेटा इस्तेमाल करेंगे
INSAT-3DS बेहतर मौसम पूर्वानुमान और इससे संबंधी सर्विस प्रदान करने में हेल्प करेगा।
– इस सैटेलाइट को बनाने में भारतीय उद्योगों का अहम योगदान
– INSAT-3DS में छह चैनल इमेजर, 19 चैनल साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर (DRT) और सैटेलाइट सहायता प्राप्त खोज और बचाव (SA & SR) ट्रांसपोंडर हैं।
– 51.7 मीटर लंबे और 420 टन वजन वाले तीन फेज के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F14) रॉकेट से लॉन्चिंग
– इस मिशन को जीएसएलवी-एफ14 नाम दिया गया
इसरो का इस साल ये दूसरा मिशन
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर पर जैसे ही सैटेलाइट का प्रक्षेपण हुआ, वहां देखने के लिए जुटी भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजा के खुशी जताई। INSAT-3DS सैटेलाइट इस सीरीज की तीसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है। एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है।