एक गांव ही है जो लोगों को अपने पन का एहसास दिलाता है,गांव से बेहतर जीवन और कही भी नही!

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रिपोर्टर:-

गांव में असली दूध,छाछ, घी दुकानों में नहीं, घरों में मिलते, जहां मिलावट नहीं सिर्फ भावनाएं होती है
गांव से बेहतर जीवन कोई नहीं !
कहा जाता है कि हम विकट परिस्थितियों में ही कई बार उन चीजों का महत्त्व समझ पाते हैं।
जिनकी अहमियत हमें सामान्य परिस्थितियों में नहीं होती है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं देश के गांवों की।
क्योंकि जब हमारे देश के बड़े-बड़े महानगर और प्रदेशों की राजधानियों का दम फूलने लगा है!

यहां का समाज आज वर्तमान महामारी में हांफ रहा है!
तो वहीं आज हमारे गांव इस महामारी में उन लोगों के लिए वरदान साबित हुए जो कभी गांव से शहर की ओर रोजगार की तलाश में पलायन कर गए थे।
या ये लोग मानते थे कि शहरी जीवन ही बेहतर है और सुखद भी!
उनकी इस धारणा को वर्तमान महामारी ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
बता दिया कि गांव देश और यहां के लोगों के लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं।
क्योंकि एक गांव ही है जो लोगों को अपनेपन का अहसास दिलाता है।

शायद यही कारण है कि गांधीजी ने हमें गांव का महत्त्व दशकों पहले बता दिया था इसके अलावा गांव में शहरों की तरह आपाधापी नहीं होती है।
यहां का जीवन बहुत सरल और शांत स्वभाव का होता है यहां पर शहरों की तरह तंग गलियां नहीं होतीं,
सूनी सड़कें होती हैं फिर भी आदमी खुद को अकेला महसूस नहीं करता।
बड़े-बड़े महानगरों में बंद पानी की टंकियों का जल दूषित कर दिया जाता है और एक गांव है जहां खुले कुएं का पानी भी स्वच्छ होता है।

शहरों के बारे में हमारे एक दोस्त व्यंगकार लिखते हैं कि सुना है कि शहर इतनी तरक्की कर गया कि एक उसने अरसे से पक्षियों की आवाज नहीं सुनी।
और एक गांव हैं जहां आप पक्षी की आवाज में भेद करके बता सकते हैं कि यह किस पंछी की आवाज थी!
यहां पर शहरों की तरह वायु प्रदूषण की परतें नहीं दिखतीं,बल्कि प्रकृति अपने सौंदर्य को दिखाती है।

गांव में स्वच्छ हवा, असली दूध, छाछ, घी दुकानों में नहीं, घरों में मिलते है,
जहां मिलावट नहीं, भावनाएं होती हैं। गांव में दुधारू पशु सड़कों पर नहीं होते,
बल्कि इनके लिए घरों में एक अलग स्थान तय किया जाता है।
गांव में शहरों की तरह वृक्षारोपण का ढोंग हो या न हो,
लेकिन पेड़ों को अनावश्यक तरीके से नहीं काटा जाता।
प्रकृति खुद को गांव में ज्यादा सुरक्षित महसूस करती है।

अगर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा दें,
जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था, आरंभिक शिक्षा व्यवस्था, रोजगार की उपलब्धता आदि तो यह कहने  कोई गुरेज नहीं कि गांव से बेहतर जीवन कोई नहीं हो सकता है।
गांव में किसी महामारी से निपटने में आसानी होती है,
क्योंकि गांव में आबादी की सघनता अधिक नहीं होती है।

इसके अलावा, यहां पर निगरानी तंत्र के लिए किसी कानूनी अमले की इतनी अधिक जरूरत नहीं होती है।
यहां पर आपसी लोग एक दूसरे से सामाजिक सामंजस्य स्थापित कर व्यवस्था को सफल बना देते हैं।
यही सब कारण गांव को वर्तमान में और प्रसांगिक बना देते हैं।
बताते हैं कि जब हम पर कोई संकट आए तो हमारा ग्रामीण तंत्र भी इससे निपटने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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