एक दूसरे के खून के प्यासे है सब, सरेआम गुंडाराज चल रहा है यहां और हम तमाशा देख रहे है, यह तो तालिबानी राजनीति और अर्थनीति नहीं तो और क्या ?

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रिपोर्टर:-

पुलिस पर राजनीतिक और बाहुबलियों का दबाव और भ्रष्टाचार का बढ़ना।
स्थानीय ब्लॉक प्रमुख में मानवीय गुणों का अभाव.. एक नारी का खुले आम चिर हरण !
मंत्रालयों में लापरवाही और भ्रष्टाचार।
आज उत्तर प्रदेश में गुंण्डे-माफिया देश के संविधान, क़ानुन और लोकतंत्र को अपने पैरों के नींचे रौन्द रहे हैं और हम तमाशा देख रहे हैं।

आज इन असमाजिक तत्वों ने उत्तर प्रदेश के साथसाथ सम्पूर्ण देश में आतंक और दंगे को अपना पेशा बना लिया है।
जिससे आज समाज का हर वर्ग परेशान है।
आज एक भारतीय दुसरे भारतीय का धर्म की आड़ में सिर्फ और सिर्फ खून का प्यासा दिखाई देता है!यह तालिबानी राजनीति नहीं तो क्या है?

आज का सबसे डरावना सच यह है कि देश से सच्चा प्रेम करने वाला हर व्यक्ती चाहे हिन्दु हो.. मुसलमान हो.. सिख हो… या ईसाई हो या दलित हो।
हर एक व्यक्ती क्रमशः संवेदनशील आदमी मोदी और योगी की तरह के नेताओं में हरकत मात्र से डरने लगा है।
रही हमारे देश में अर्थ निती की बात तो आज भारत में अर्थ-व्यवस्था को जड़ बना देने का अर्थ है, उसे मृत घोषित कर देना और उसमें गिरावट का मतलब है इस लाश में सड़ांध का पैदा होना।

सब चीजों का सड़ना, घर-घर में संकट, हवा में बारूद की गंध, और अर्थनीति का सच।
मेरे देशवासीयों आप थोड़ा सा भी ध्यान से देखे तो पायेंगे कि इस सच के सारे लक्षण अब भाजपा की दुसरी पाली की सरकार में साफ़ – साफ़ दिखाई देने लगा हैं ?
आदमी में लाश के प्रति हमेशा एक प्रकार का डर का भाव होता है, लेकिन वह उससे भी ज्यादा तब आतंकित हो जाता है, जब वह लाश में अचानक कोई हरकत देखता है!

लाश के क्रिया-कर्म के लिये तैयार हो चुके आदमी के लिये यह हरकत एक भारी खौफ की तरह की होती है और वह भूत-भूत कह कर भागने लगता है। अब क्रमशः हम उसी स्थिति की ओर जा रहे हैं।
सत्य तो यह है कि लोग मांनने लगे हैं कि ये मोदी-योगी कंपनी निश्चेष्ट लाश की भांति पड़ी रहे, तभी तक गनीमत है।
इनमें हरकत के संकेत तो इनके लाश के रूप से ज्यादा डरावने होंगे।

नोटबंदी, राजनीतिक कार्यकर्ता के भेस में गुंडों का उत्तर प्रदेश में आतंक।
इनके पास ऐसी भयावह चीजों के अलावा देश को देने के लिये शायद कुछ नहीं है?
वे ऐसी ही और कोई विपदा लाए, इससे अच्छा है, किसी आलसी अजगर की तरह जंगल के किसी खोह में चुपचाप बैठे रहे।

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