कश्मीर फाइल्स मूवी नही महज प्रोपेगंडा है
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
अशोक पंडित बोले- 3 लाख हिंदू मारे गए, साबित हुआ कश्मीर फाइल्स मूवी नहीं ‘प्रोपेगेंडा’ है।
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी हेड नदाउ लैपिड ने द कश्मीर फाइ
ल्स मूवी के बारे में ऐसी टिप्पणी की कि अनुपम खेर का चेहरा लाल पीला नहीं नीला पड़ गया होगा।
सरकार के लोग कार्यक्रम में तारीफ सुनने गए गए थे, आलोचना सुनकर इन्हें सांप सूंघ गया होगा।
जिस मूवी का प्रचार सत्ताधारी पार्टी कर रही थी उसे मूवी न कही जाए, ये संदेश अब तक पूरी दुनिया को मिल गया होगा। क्योंकि ज्यूरी हेड ने ना सिर्फ इसे प्रोपेगेंडा मूवी बताया है बल्कि इसके लिए अश्लील यानी ‘वल्गर’ शब्द का इस्तेमाल किया है। कश्मीर फाइल्स एक प्रोपेगेंडा और वल्गर मूवी है, इसमें कंपीट करने की ताकत नहीं है, कहकर एक वाक्य में रिव्यु दे दिया है।
हमें 15 मूवी देखनी थी इन ने से हमने केवल 14 देखी क्योंकि उनमें सिनेमा ही विशेषता थी मगर 15वीं मूवी ने हमें बेहद ही हैरान कर के छोड़ दिया है।इसमें कोई सिनेमाई विशेषता नहीं है सिर्फ और सिर्फ प्रोपेगेंडा और अश्लीलता को परोसा गया है।
नदाउ लैपिड की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। लोगों ने फिल्म से जुड़े लोगों की आलोचना तो की ही है साथ ही सरकार को भी कटघरे में खडा किया है ,सरकार से भी सवाल किया जा रहा है।
गौर तलब हो कि कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखती हैं- “PM मोदी उनकी सरकार और भाजपा ने कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रमोशन किया।
अब उसी मूवी को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में रिजेक्ट कर दिया गया। साथ ही जूरी हेड ने इसे प्रोपेगेंडा अश्लील और अनुप्रयुक्त मूवी बता दिया।
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए TRS के सोशल मीडिया संयोजक YSR ने लिखा- दुनिया भर के कोने-कोने से आए जाने-माने लोगों और भारत के कई मंत्रियों के सामने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगेंडा और वल्गर मूवी करार दिया गया है। भाजपा ब्रांड इंडिया की छवि धूमिल करने में सफल हो रही है। लेकिन इसे इस बात की कोई फिक्र ही नही है।
कश्मीर फाइल्स मूवी के पक्ष में भी लोगों ने प्रतिक्रिया दी है जैसे अशोक पंडित ने जूरी हेड की ही आलोचना की है।
नदाउ लैपिड ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है उसकी मैं कड़ी आलोचना करता हूं।
3 लाख कश्मीरी हिंदुओं के कत्लेआम को दिखाने की कोशिश को अश्लील नहीं कहा जा सकता। मैं फिल्ममेकर और कश्मीरी पंडित होने के नाते उनकी भर्त्सना करता हूं।
सिनेमा में प्रोपेगेंडा डालना कोई नई बात नहीं है मगर पहले ही अपना इरादा दिखा देना और सतही तरीके से फिल्मांकन करना, हकीकत में बड़ी नासमझी कही जाएगी।
हालांकि इन सबके बावजूद अशोक पंडित द्वारा 3 लाख हिंदुओं के मारे जाने का जो आंकड़ा दिया जा रहा है इससे नदाउ लैपिड की बात और सच हो जा रही है।क्योंकि यहां खुलेआम झूठ बोला जा रहा है आंकड़ों को बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है।
जब खुद सरकार मारे जाने वाले लोगों की संख्या कुछ हजार बता रही है तब 3 लाख लोगों की मौत का आंकड़ा बताकर इस बात पर मुहर लगाई जा रही है कि इसी प्रोपेगेंडा बताने वाला शख्स वाजिब सवाल उठा रहा है।
और फिल्म के समर्थकों को भी तय करना होगा कि कुछ हजार का आंकड़ा बताने वाली सरकार झूठ बोल रही है या वो फिल्ममेकर झूठ बोल रहा है जो 3 लाख हत्याओं का आंकड़ा बता रहा है?
संवाद;
पिनाकी मोरे