कांग्रेस द्वारा मोदी जी से पूछे गए वह क्या है पांच प्रश्न और उनके जवाब का विवरण ? खुलासा जानिए
चीनी घुसपैठ पर, प्रधानमंत्री मोदी से पांच सवाल
17 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से चीन पर 7 प्रश्न पूछे थे, पर उनका कोई उत्तर नहीं मिला.
फिर 18 दिसंबर, 2022 को 5 प्रश्न पूछे गए. उनका भी जवाब नहीं मिला, जो अपेक्षित था।
आज कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी से फिर 5 प्रश्न चीन पर पूछ लिए.जाहिर है कि पहले की तरह इन सवालों के भी जवाब नहीं मिलेंगे. #Modi अपना Mic_Off कर लेंगे!
बहरहाल, कांग्रेस द्वारा मोदी से पूछे गए सवालों पर नजर डालते हैं.
कांग्रेस का पहला सवाल —
कुछ समय पहले मोदी ने एक नया नारा दिया था कि
इंच टूवर्ड्स माइल्स, जिसमें इंच (INCH) से तात्पर्य भारत-चीन और माइल्स (MILES) से तात्पर्य असाधारण ऊर्जा की सहस्राब्दी (मिलेनियम ऑफ़ एक्सेप्शनल एनर्जी) था।
उसके बाद ही,चीनी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में हमारे क्षेत्र के हज़ारों वर्ग मील पर कब्जा करने के लिए ही उस असाधारण ऊर्जा का प्रयोग कर रहे हैं.।
क्या आपको नहीं लगता कि आपके इस
बचकाने और त्रुटिपूर्ण निर्णय की देश को
बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है?
सवाल नंबर दो
आपने,अपने ‘दोस्त’ राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ आप अहमदाबाद में झूले में झूले, वुहान में चाय का कप साझा किया और बाली में हाथ मिलाया.
अक्टूबर 2019 में आपने फिर से ‘शी’ से
मुलाकात के बाद घोषणा की कि चेन्नई विजन, भारत-चीन संबंधों में एक नए युग का सूत्रपात करेगा और यह भी कहा कि, “दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक संवाद बढ़ा है।
छह महीने बाद ही चीनी देपसांग से डेमचोक तक अपने रणनीतिक इरादे स्पष्ट कर रहे थे। जबकि आप वास्तविकता को स्वीकार करने से इंकार कर रहे थे.
क्या व्यक्तिगत छवि निर्माण का आपका
जुनून राष्ट्रहित के साथ समझौता नहीं है?
सवाल— नंबर तीन
क्या यह सच है कि जब 2015 में आईएनएस विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडर सम्मेलन में तीनों सशस्त्र सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने आपको स्पष्ट रूप से ये बताया था कि वे चीन को भारत के लिए प्रमुख सैन्य खतरा मानते हैं तो आपने सैन्य अधिकारियों से कहा था कि “मेरा मानना है कि चीन से भारत को कोई भी सैन्य खतरा नहीं है ?”L
क्या यह दृष्टिकोण उपलब्ध साक्ष्यों के समक्ष आपके मतिभ्रम और अति उत्साह को नहीं दर्शाता है?
चौथा सवाल –
2020 की शुरुआत में चीनी घुसपैठ एक
रणनीतिक आश्चर्य था,जिसके लिए हमतैयार नहीं थे। पिछली बार हमें इसी तरह के सैन्य आश्चर्य का सामना 1999 में कारगिल युद्ध में करना पड़ा था। ऐसा क्यों है कि बीजेपी सरकारें,जो सदैव राष्ट्रवाद का लबादा ओढ़े रहती हैं,अक्सर
इस तरह के आश्चर्य का शिकार बन जाती हैं?
क्या इसलिए कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपेक्षा राजनीति करने और विपक्ष पर हमला करने में उनकी ज़्यादा रुचि रहती है?
हमारे पास चीन के इस कदम की समीक्षा का विवरण कब उपलब्ध होगा,जैसा कि कारगिल युद्ध के बाद किया गया था?
पांचवा सवाल
अनेक लोगों ने इस वास्ताविकता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि आप हमारे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन का नाम लेने से भी कितना डरते हैं। पूर्व अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर, जो 2017-21 के महत्वपूर्ण कालखण्ड के दौरान भारत में अमेरिका के राजदूत थे,उन्हों ने कहा कि आपकी भारत सरकार ने चीन
का नाम लेना तो दूर, अमेरिका से भी अपने बयानों में सीमा पर चीन की आक्रामकता का उल्लेख न करने के लिए अनुरोध किया था.
तो क्या अंतर्राष्ट्रीय जनमत को अपने पक्ष में
लाना इससे बेहतर नहीं होता?
आपने अपने अहंकार के लिए हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में क्यों डाला?
संवाद
रूबी अरू