काग्रेस ने यहां बनाई बढ़त सभी बगावती हो गए एक साथ,चुनावी गेम में भाजपा फेल
बुंदेलखंड
संवाददाता
बुंदेलखंड मेें कांग्रेस ने बनाई बढ़त, छतरपुर जिले में बगावती हुए एक साथ, चुनावी रणनीति में फैल हुई भाजपा, 6 में से 4 सीट जीत सकती कांग्रेस.
उंडेल के
छतरपुर, बिजावर, बड़ामलहरा, राजनगर, चंदला व महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार चुनावी मैदान से पिछड़े
पंकज पाराशर छतरपुर
बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में पिछले विस.के चुनाव का प्रदर्शन दोहराने की स्थिति में कांग्रेस दिखाई दे रही है। उम्मीदवारी जता रहे नेताओं को प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर जो बगावत शुरू हुई थी धीरे-धीरे नाम वापसी तक कांग्रेस ने दूर कर दी। इतना ही नहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा के भी कई नेताओं को अपने खेमे में शामिल कर लिया गया है। जिस के कारण जिले में कांग्रेस की स्थिति भाजपा से कहीं अधिक मजबूत दिखाई देने लगी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की छह सीटों में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। वर्तमान माहौल कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर दिखाई दे रही है। कई विधानसभाओं में वह कांग्रेस के मुकाबले से ही बाहर नजर आ रही है। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार आलोक चतुर्वेदी छतरपुर विधानसभा में आक्रामक तरीके से तूफानी जनसंपर्क में लगे हुए है और उन्होंने सारे समीकरण बदल कर अपने पक्ष में कर लिए है।
यही कारण है कि बीजेपी की ललिता यादव चुनावी मैदान से पिछड़ती नजर आ रही है। तो वहीं राजनगर विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार अरविन्द पटैरिया भी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। क्योंकि वहां पर भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व जिला अध्यक्ष घासीराम पटेल बसपा से चुनाव लड़ रहे है। कांग्रेस के विक्रम सिंह नाती राजा और घासीराम पटेल के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है तो वहीं बिजावर विधानसभा में भाजपा के सारे समीकरणों को ध्वस्त करते हुए कांग्रेस के चरण सिंह भारी जनसमर्थन अपने बटोरते नजर आ रहे है।
कांग्रेस के इस सीट पर सारे बगावती उम्मीदवार चरण सिंह के पाले में आकर के चुनाव प्रचार की कमान संभाल कर पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहे है। इस सीट पर सबसे बड़ा उलटफेर हुआ। बताते चलें कि सपा उम्मीदवार रेखा यादव ने अपना नाम ही वापस ले लिया। यही वजह है कि भाजपा को जबरदस्त झटका लगा है। कांग्रेस उम्मीदवार के द्वारा प्रचार भी यूपी स्टाइल में भारी भरकंप गाड़ियों का काफिला और एलईडी बैन के साथ जगह-जगह कमलनाथ के साथ उम्मीदवार के होर्डिंग बैनर लगे पड़े है।
बिजावर सीट पर भाजपा उम्मीदवार चुनावी रणनीति मेें कमजोर नजर आ रहे है। बड़ामलहरा विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार प्रद्युम्न सिंह लोधी का आंतरिक स्तर पर भाजपा में ही विरोध निरंतर जारी है तथा किसी एक जाति को बढ़ावा दिए जाने के कारण मतदाताओं में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ आक्रोश पनपता दिखाई दे रहा है। तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार रामसिया भारती भाजपा के खेमे में ही सेंध लगाकर तथा अन्य उम्मीदवारों को नाम वापसी कराकर अपने पक्ष में पूरी तरह माहौल बनाए हुए है।
महाराजपुर विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवार कामाख्या प्रताप सिंह नीरज दीक्षित के सामने ताश के पत्तों की तरह ढह जाने की स्थिति में नजर आ रहे है। नीरज बीते दस सालों से क्षेत्र के लोगों के साथ सक्रिय संपर्क बनाए हुए थे तथा उनके मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ भी कई बार आंदोलन के जरिए लोगों का भरोसा कायम रखे रहे है। जिससे यह सीट भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है।
आरक्षित सीट चंदला पर जुगाड़ लगाकर भाजपा से उम्मीदवार दिलीप अहिरवार के लिए सपा उम्मीदवार पुष्पेंद्र अहिरवार घातक बने हुए है। भाजपा ने सिटिंग एमएलए राजेश प्रजापति का टिकट काट कर दिलीप अहिरवार को उम्मीदवार बनाया जिस कारण राजेश समर्थक पूरी तरह भाजपा की नैया डुबोने में लगे हुए है। जिसका सीधा लाभ कांग्रेस के प्रत्याशी हरप्रसाद अनुरागी उर्फ गोपी मास्टर को दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर जिले की 6 विधानसभाओं में से 4 विधानसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह अपने पक्ष में माहौल बनाए हुए है। अंतिम समय तक यहीं माहौल रहा तो भाजपा को जिले की छह विधानसभाओं में से एक या दो सीट जीतकर ही संतुष्ट होना पड़ेगा।