कुछ न करनेवाली सरकारे जनता को पागल कर देती है?

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रिपोर्टर:-

कोरोना को लेकर फ़ैसलों की नौटंकियाँ शुरू हो गई हैं और अभी और होंगी।
जिन पर ज़िम्मेदारी थी कि समाज में इसकी जीवन शैली को स्थापित करते वे अपने ही बनाए नियमों को तोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह।
दोनों की चुनावी सभाओं में जब कोरोना के नियमों की धज्जियाँ उड़ेंगी तो विपक्षी दलों को कौन कहे?

दूसरी तरफ़ मास न पहनने पर आम लोगों से करोड़ों वसूले जा चुके हैं।
सब कुछ बंद होगा। पूरा एक साथ नहीं तो कहीं एक शहर तो कहीं एक ज़िला बंद होगा।
बीस लाख करोड़ का पैकेज फ़र्ज़ी था या कहाँ गया किसी को पता नहीं!

अब लोगों की आर्थिक ज़िंदगी फिर से दांव पर है।
जब पता है कि यह महामारी नहीं जाने वाली है तो फिर इसके साथ जीने की व्यवस्था होनी चाहिए थी ।
लेकिन चार दिन केस कम होता है कुछ न करने वालीं सरकारें पागल हो जाती हैं और जैसे ही चार दिन केस बढ़ता है,
कुछ न करने वाली सरकारें जनता को पागल कर देती हैं।

 

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