क्या कारण है ऐन चुनाव के मौके पर अभियंताओं को भड़काने का?

लखनऊ
संवाददाता

वाह रे पावर कार्पोरेशन

अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन ने दिये निजीकरण के संकेत व अभियन्ताओ को चुनाव के दौरान भडका कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए उक्साया

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहयोगी कम्पनियो व डिस्कॉमो मे अवैध रूप से कुर्सीया कब्जाए अनुभव हीन बडका बाबूओ ने अब उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सभी वितरण निगमो को निजी हाथो मे दे देने का मन बना ही लिया है और साथ ही साथ सभी मुख्य आभियनाताओ व अधीक्षण को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेने का सुझाव दे दिया है वोभी ऐन चुनाव के दौरान ।

आज बडका बाबू ने अपने इरादे सार्वजनिक करते हुए कहा कि आप अभियन्तो से कोई काम तो होता नही इस लिए आप सभी लोग स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेलो। हम अधीशासी अभियन्ताओ को पद्दोनत कर आपकी जगह ले आएगे और उनकी जगह कम वेतन पर काम करने के लिए बेरोजगार को मार्केट से ला कर आपके पदो पर बैठा देगे। होगो वो सब सविदा या निविदा और उनको वेतन भी कम दिया जाएगा ।

हुआ यह कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सबसे बडे बडकऊ यानि कि उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार ने कुछ बडी योजनाए लागू हुई है जिसमे हजारो करोड की निविदाऐ निकाली गयी और इसमे उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार भी हो रहा है। बडका बाबू कार्यदाई सस्थाओ के गोदामो मे चक्कर काट रहे है और अपनी फोटोए खिचवा कर प्रेस मे जारी करते है और यह दिखा करते है कि देखो हम काम के प्रति कितने समर्पित है।

जब कि नयी msme कम्पनियो को काम नही दिया जा रहा है। उनकी gtp यानि गारंटीकृत तकनीकी विवरण को पास ही नही किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के बडकऊ यानि अध्यक्ष महोदय द्वारा कार्यदाई सस्थाओ के प्रतिनिधियो की बैठक लेते है और उनसे मौखिक अपेक्षा करते है कि उनके द्वारा बताई जा रही कम्पनियो को छोड कर अन्य कम्पनियो से समान ना खरीदा जाए और इन बैठको के को मिनट्स भी जारी नही करते ।

मरता क्या ना करता?

अगर काम करना है तो बडकऊ का हुक्म तो बजाना पडेगा। नही तो ब्लैकलिस्टेड कौन होना चाहेगा तो इन कम्पनियो के द्वारा अपेक्षा को पूरा करने के इलावा कोई और रास्ता नही बचता है इस लिए यह कम्पनिया नयी कम्पनियो को मौका नही देती है जब कोई समान खरीदना होता है तो बडकऊ के द्वारा सुझाई गयी कम्पनियो से ही खरीद की जाती है। जब कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी के अध्यादेश मे msme से 20% से 25% तक का समान लेने का प्रवधान है। परन्तु जब तक कार्यदाई सस्थाऐ नयी आपूर्ती करता कम्पनियो की गारंटीकृत तकनीकी विवरण पास करने के लिए वितरम निगमो को नही देगी और निगम जब तक निगम उन तकनीकी विवरण को पास नही कर देता तब तक यह कार्यदाई सस्थाओ के हाथ बंधे होते है और निगम मे तो बडका बाबूओ का राज है और वो तो पहले ही अपनी चहेती कम्पनियो से विधिवत अपनी सेवा करा लेते है।

यह खेल किसी को पता भी नही चलता और यही वो कारण है जिसकी वजह से बडका बाबूओ की फौज उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहायक कम्पनियो व वितरण निगमो के प्रबंधनिदेशक व अध्यक्ष पद छोडने को राजी ही नही है। अब पूरा वितरण क्षेत्र ही बेचने की तैयारी है।क्यो कि अभियन्ता संघ व अन्य संगठन इनके इस काम मे रूकावट डालते थे अब एक षडयन्त्र की वजह से अध्यक्ष व शेष अभियन्ता संघ मे पिछले सवा साल से मन मुटाव देखने को मिल रहा है।

पिछलो साल हुई हडताल मे निलम्बित हुए पदाधिकारियो की बहाली आज तक नही हुई है और ना ही जूनियर इन्जीनियर संगठन मे दम बचा है तो कौन इनके खिलाफ आवाज उठाएगा? यह बडका बाबू लोग निरंकुश हो कर जो मन मे आए वो कर रहे है। अब तो अभियन्ताओ को भी खुलेआम स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कह रहे है। आज अगर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहयोगी कम्पनियो और वितरण निगमो को बचाना है तो क्यो ना बडका बाबू की सलाह मानते हुए सभी अभियन्ताओ और जूनियर इन्जीनियरो को एक साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए प्रार्थनापत्र दे कर छुट्टी पर चले जाना चाहिए?

क्योकि चुनाव के बाद तो वैसे भी 50 वर्ष पूरे कर चुके कर्मचारियो की वैसे भी स्क्रिनिग होनी है तो अभी से ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन क्यो ना कर दिया जाए? और वैसे भी पावर कार्पोरेशन के सबसे बडे वाले बडकऊ यानि अध्यक्ष महोदय कह भी चुके है कि सभी के आवेदन वो स्वीकृत कर लेगे यह बात इसका पूरा संकेत है कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन चाहते है कि सभी अभियन्ता व जूनियर अभियन्ता भडक जाए और चुनाव मे सरकार को हार का सामना करना पडे।

क्योकि सारे शक्तिभवन मुख्यालय मे यह चर्चा आम है कि 26/4/2024 को जो समुह ग व घ के कर्मचारियो की स्क्रिनिग का जो आदेश प्रबन्ध निदेशक मध्याचल विद्युत वितरण निगम ने दिया था जिसे माननीय ऊर्जा मंत्री की फटकार के बाद वापस लिया गया था। वह आदेश भी अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन की अपेक्षा के कारण ही हुआ था । तो इसका ताजा तरीन उदाहरण है कि पावर कार्पोरेशन मे हर काम इनकी मर्जी से होता है जैसे जो इनकी जी हजूरी करता है उसे नियम विरुद्ध सेवा विस्तार दे दिया जाता है।

जैसे निदेशक वित्त उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी उनको एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया और जो इनके कार्यो का विरोध करता है जैसे मुख्य अभियन्ता कानपुर देहात उसे निलम्बन कर देते व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए उक्साए जाते है वैसे अभी भी देर नही हुई है भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए । खैर
युद्ध अभी शेष है।

साभार: अविजित आनन्द

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT