खुद को ईश्वर का अवतार बताने वाले इस सज्जन ने पिछले दस साल की हुकूमत में शिवाजी महाराज का कितनी दफा लिया नाम?
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
ये वह सज्जन हैं जो नोटबन्दी के बाद चौराहे पर आने की बात कह रहे थे सजा के लिए। जो पहले किसानों से माफी मांग रहे थे और अब उन्हें दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं। जो यूपी चुनाव में अनकूल परिणाम न आने पर जय श्रीराम छोड़ कर जय जग्गनाथ का उद्घोष करने लगे थे।
आज महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में करोड़ों की लागत से बनी जो मूर्ति गिरने पर शिवाजी महाराज को आराध्य देव बता रहे हैं कल खुद को ईश्वर का अवतार बता रहे थे।
कोई पूछे इनसे कि पिछले 10 सालों में जब से ये केंद्र में सत्ता में हैं और उसके पहले जब ये गुजरात मे सत्ता में थे इन्होंने महाराष्ट्र के बाहर अपने आराध्य देव का नाम कितनी बार लिया है?
अगर दो महीने के भीतर महाराष्ट्र का चुनाव नहीं होता तो ये मूर्ति गिरने के बाद इधर पलट कर भी नहीं आते। महाराष्ट्र को मणिपुर की तरह ट्रीट करते।
ऐसे व्यक्ति की बातों का क्या मोल जिसे ये तक याद नहीं रहता कि कल उसने क्या कहा था? जो कहीं भी झूठ बोल सकता है और सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी कह/कर सकता है।
संवाद;पिनाकी मोरे