जेल में बंदियों से गिनती कटवाने की आड़ में वसूले जाने वाले अवैध शुल्क की परंपरा आखिर कब होगी खत्म?

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सहारनपुर:-रिपोर्टर. 

जिला कारागार सहारनपुर को काफी संवेदनशील माना जाता है।
यहां पर काफी समय पूर्व में बंदियों को जहरीला भोजन खाने से उनकी मौत हो गई थी!
यहा पर कारागार प्रशासन काफी सतर्कता बरतता है ।
यदि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉक डाउन की बात करें तो एक साल से मिलाई नहीं हुई है।
जिस कारण बंदियों के मानसिक स्थिति को समझा जा सकता है।

परिवार से दूर हुए लगभग एक साल हो गया है मिलाई को लेकर अभी भी शासन स्तर पर कोई योजना या रणनीति नजर नहीं आती।
इस बीच बढ़ते कोरोना वायरस के बढ़ने से शासन और सरकार की नींद उड़ा रखी है।
इसलिए कहीं दूर तक ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आती की बंदियों और उनके परिजनों की मुलाकात हाल फिलहाल संभव हो सके।

लेकिन स्थानीय कारागार प्रशासन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है।
अगर सूत्रों की बात करे तो बंदियों पर गिनती कटवाने का अतिरिक्त भार अभी तक ऐसे के ऐसे ही लगा हुआ है।
यह भ्रष्टाचार की एक ऐसी परंपरा है जो कारागारो में बहुत लंबे समय से चली आ रही है।
जो भी नया बंदी जेल में आता है उसे मुलाईजे में रखने के बाद दूसरी बैरक आवंटित की जाती है यहीं गिनती कटवाने का बड़ा खेल होता है!

इसमें मिलीभगत करके कारागार प्रशासन के कर्मचारी 1500 से लेकर करीब 4500 रुपये तक की अवैध वसूली इन बंदियों से गिनती के नाम पर करता है।
जो बंदी यह गिनती देने के नाम पर रकम नहीं चुका पाता तो उसे भंडारे या अन्य दूसरे दंड स्वरूप कार्यों में लगा दिया जाता है ।
कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस, लॉकडाउन के दौरान भी जेल प्रशासन पूरे मजे मार रहा है और उसकी लूट खुट में कहीं कोई कमी नहीं आई है!

यह परंपरा बंद होनी चाहिए जो भ्रष्टाचार की प्रतीक है यह हाल सहारनपुर के अकेली जेल का ही नहीं है।
बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही काम बदस्तूर चलता रहता है ।
जो बंदी अच्छी रकम देकर पा लेता है जहां उसे सुख सुविधाएं मिलती रहती है।

जबकि गिनती ने कटवाने वाला बंदी भार संबंधी कार्यों में लगा दिया जाता है!
जब तक वह पैसा जुटा कर जेल प्रशासन के कर्मचारियों को नहीं देता तब तक उसकी गिनती उल्टी ही चलती रहती है। यह परंपरा कारागार में बंद होनी चाहिए।

 

हालांकि डी जी कारागार आनंद कुमार की तैनाती के बाद से जल विभाग में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है।
तथा बहुत सुधार हुआ है और इनके सुधारों को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
लेकिन जेल में गिनती का खेल आज भी बाकायदा जारी हैं इस पर लगाम लगनी जरूरी हैं।

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