ड्यूटी छोड़कर अक्सर नदारद रहते है रात्रिकालीन डॉक्टर्स मरीज बे हाल

जिला ब्यूरो तक़ीम अहमद
जुन्नारदेव
रात्रिकालीन ड्यूटी से नदारद रहते है! डॉक्टर मरीज होते है परेशान
बीजी रहते है अपनी क्लिनिक पर
पेमेंट लेते हैं सरकारी नौकरी का ओर निजी क्लिनिक पर करते हे प्रेक्टिश
क्या मुख्यमंत्री इस ओर ध्यान केंद्रित करेंगे ?
मरीज के परिजन द्वारा निवेदन करने पर ड्यूटी डॉक्टर को बुलाया जाता है तो परिजनों पर आक्रोषीत हो उठते डाक्टर

जुन्नारदेव :-जुन्नारदेव सामुदायिक स्वस्थ केंद्र मे लगातार इलाज मे लापरवाही के मामले सामने आ रहे है। ख़ास कर रात के समय ड्यूटी डॉक्टर अक्सर नदारद रहते है। और मरीज के पहुंचने पर फोन पर नर्स को दवाईया समझा कर मरीज को देकर अस्पताल आने से बचते है।

जबकि नियमानुसार ड्यूटी डॉक्टर को रात के समय ड्यूटी पर मौजूद रहना चाहिए। लेकिन देर रात्रि तक निजी प्रेक्टिस मे बीजी रहने वाले डॉक्टर सरकारी हॉस्पिटल मे आने वाले गरीब मरीजों को देखने हॉस्पिटल नहीं पहुंचते है और अगर मरीजो के परिजनों की मिन्नतें करने पर पहुंच भी जाते है तो मरीजों को इलाज की जगह रात मे अस्पताल बुलाने पर जमकर फटकार लगाते है।

ऐसा ही एक मामला बीती रात को सामने आया 01/01/2025 को रात्रि 10:30 बजे अमित सिंह राजपूत कोल्हिया डूंगरिया निवासी अपने पुत्र अर्नव राजपूत को लेकर सामुदायिक स्वस्थ केंद्र जुन्नारदेव पहुंचते पर अस्पताल मे एक मात्र ड्यूटी पर नर्स मौजूद थी। नर्स द्वारा ड्यूटी डॉक्टर को कॉल किया ऐसे में ड्यूटी डॉक्टर फोन पर ही निर्देश दे दिया जाता है अमित सिंह राजपूत द्वारा नर्स को कहा गया कि बच्चे का एक बार चेकअप ड्यूटी डॉक्टर द्वारा किया जाये जिससे रात्रि मे किसी भी प्रकार की कोई असुविधा ना हो। पुनः नर्स द्वारा फोन लगवाया गया जिसपर ड्यूटी डॉक्टर कहती है खाना खाकर आती हु।

20मिनट बाद ड्यूटी डॉक्टर आकर अमित सिंह राजपूत की पत्नी परआक्रोशित होने लगते हैऔर कहती है कि मेरे द्वारा दवाई कॉल पर बताई गई फिर मुझे अस्पताल बुलाने की क्या जरुरत? जिसके चलते अत्यंत परेशान होकर अमित सींग राजपूत द्वारा व्यक्ति द्वारा लगभग 8 स्थानों पर शिकायत की गई है।

वर्तमान बी एम ओ अस्पताल की व्यवस्थाओ को सँभालने मे नाकाम साबित हो रहे है। क्योंकि उनका पूरा ध्यान अस्पताल से हट कर अपनी निजी प्रेक्टिस के जरिये पैसे कमाने मे लगा हुआ है। ऐसे मे अस्पताल के अन्य डॉक्टर भी बी एम ओ की राह पर चलते हुये अस्पताल मे इलाज करने की जगह निजी प्रेक्टिस पर मरीजो को देख़ने मे ज्यादा ध्यान दे रहे है।जिसकी वजह से ओ पी डी टाइम के अलावा बाकि समय ड्यूटी डॉक्टर अस्पताल मे कम निजी किलिनिक मे ज्यादा पाए जाते है।

आए दिन गंभीर हालत मे तब ड्यूटी डॉक्टर अस्पताल से नदारद रहते है कई बार फोन पर नर्सो को सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंचते है और फोन पर ही बीमारी पूछ कर दवाई नर्सो द्वारा दिलवाकर मरीजों को टरका देते है।

ऐसे मे आदिवासी क्षेत्र मे एक मात्र सरकारी अस्पताल भी लापरवाही और अनियमितताओं की भेट चढ़ रहा है। जिसका खामियाजा क्षेत्र की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है।

जबकि सभी बड़े जिम्मेदार जुन्नारदेव में ही रहने के बावजूद इतनी बड़ी लापरवाही समझ से परे क्यों है अब शायद मुख्यमंत्री जी को ही इस ओर ध्यान देने की खास तौर से जरूरत है

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