न कोई दारोगा न इंस्पेक्टर , हेड कांस्टेबल पर किया ऐसा भरोसा कि एसपी द्वारा बन गए चौकी इंचार्ज
यूपी: न दारोगा न इंस्पेक्टर… एसपी साहब ने हेड कांस्टेबल पर किया भरोसा, बना दिया चौकी इंचार्ज
कन्नौज में चौकी इंचार्ज और कुछ पुलिस के सिपाहियों के तबादलों की एक लिस्ट सामने आई।. एसपी ने बड़े पैमाने पर यहां पर इंचार्ज और हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल के तबादले किए थे, लेकिन उसमें एक तबादला सुर्खियां बन गया। इसमें एक हेड कांस्टेबल को एसपी ने चौकी इंचार्ज बना दिया. एटा के अलीगंज निवासी सुधीर सिंह चौहान 2011 में पुलिस में भर्ती हुए थे।
मेहनत वक्त लेती है, लेकिन फल भी शानदार देती है। ऐसा इत्रों से महकने वाले शहर कन्नौज के एक हेड कांस्टेबल की कहानी सुनकर लगता है। आपने लोगों को अक्सर कहते हुए सुना होगा कि पुलिस की नौकरी में या तो अधिकारी बनो या फिर रहने ही दो। लेकिन नौकरी कोई भी हो अगर सच्ची लगन से की जाए तो आपकी मेहनत आपको शिखर तक पहुंचा ही देती है।
यूपी के कन्नौज में पुलिस महकमें से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसकी हर चारो ओर चर्चा हो रही है। एसपी के एक कदम ने एक हेड कांस्टेबल की जिन्दगी ही बदल दी। हेड कांस्टेबल को बिना प्रमोशन के ही प्रमोशन दे दिया और उसको चौकी इंचार्ज बना दिया। अचानक तबादले की लिस्ट में हेड कांस्टेबल ने अपने नाम के आगे चौकी इंचार्ज लिखा देखा तो वह हैरान रह गया. एसपी ने उसको यह इनाम उसकी मेहनत और लगन पर दिया है।
बड़े पैमाने पर हुए तबादले
कन्नौज में चौकी इंचार्ज और कुछ पुलिस के सिपाहियों के तबादलों की एक लिस्ट सामने आई।. एसपी ने बड़े पैमाने पर यहां पर इंचार्ज और हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल के तबादले किए थे, लेकिन उसमें एक तबादला सुर्खियां बन गया. इसमें एक हेड कांस्टेबल को एसपी ने चौकी इंचार्ज बना दिया। एटा के अलीगंज निवासी सुधीर सिंह चौहान 2011 में पुलिस में भर्ती हुए थे. 2015 में वह कन्नौज आए थे।
कैसा रहा यहां तक पहुंचने का सफर
2015 में सबसे पहले उनको तिर्वा थाने में तैनाती मिली थी, जिसके बाद 2020 में वह गुरसहायगंज थाने में रहे। गुरसहायगंज थाने में उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ मिलकर कुछ ऐसी घटनाओं पर काम किया जिसको लेकर उनकी बहुत चर्चा हुई। वहीं लगातार सुधीर अपनी मेहनत और लगन से अपनी पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करते चले आ रहे हैं। सुधीर के परिवार की बात करें तो सुधीर के पिता एक किसान थे जिनका नाम राजीव सिंह था। घर में सुधीर की मां, एक छोटी बहन और सुधीर सहित चार भाई हैं। सबसे बड़े भाई संजय आर्मी में है, दूसरे नंबर पर सुधीर आते हैं, तीसरे नंबर पर अनुज हैं, वह भी आर्मी में है और चौथे नंबर के भाई चंदन सिंह एमआर हैं।
इस मामले में निभाई थी बड़ी भूमिका
देश के प्रति कुछ कर गुजरने की ललक उनको उनके भाइयों से ही मिली। ऐसे में सुधीर ने पुलिस फोर्स जॉइन की। सुधीर लगातार अपनी मेहनत और अपनी लगन के दम पर आगे बढ़ते रहे। कभी भी उन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा। गुरसहायगंज क्षेत्र में एक बच्ची के साथ दरिंदगी के मामले में सुधीर ने बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने एक बेगुनाह की जान बचाई तो वहीं मुख्य आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
मिला सच्ची मेहनत का फल
सुधीर का व्यवहार भी सभी के प्रति बहुत ही नरम रहता है. इन्हीं बातों को नोटिस करते हुए कन्नौज के पुलिस कप्तान अमित कुमार आनंद ने उनको यह ईनाम दिया। वहीं सिपाही की लिस्ट में अपने तबादले का थाना ढूंढ रहे सुधीर को जब मालूम चला कि उसको चौकी इंचार्ज बनाया गया है उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कन्नौज एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया पैरा 58 पुलिस रेगुलेशन के तहत यह किया जा सकता है। सुधीर लगातार कड़ी मेहनत से अपनी वर्दी के प्रति पूरी ईमानदारी से काम कर रहे थे. हमारे पास जिले में चौकियों की संख्या भी ज्यादा है, ऐसे में एक नई सोच के साथ इस युवा को यह जिम्मेदारी दी गई है। ये हकीकत की कहानी दूसरे पुलिस वालों को बड़े सबक की बात है।
साभार:मोहमद अरशद यूपी