पावर कॉर्पोरेशन के भ्रष्टाचार की कहानी पहुंची सीएम की दरबार में

लखनऊ
संवाददाता

वाह रे पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम
पावर कारपोरेशन के भ्रष्टाचार की कहानी पहुंची मुख्यमंत्री के दरबार मे

लखनऊ – उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में उच्च पदो से नीचे की तरफ चलने वाले भ्रष्टाचार की यह कहानी है कि किस तरीके से अध्यक्ष पावर कारपोरेशन से ले कर प्रबंध निदेशक व निदेशक तक को कैसे एक अदना से अभियंता ने चांदी के जूते के जोर पर नचाया है, कैसे एक मछली को संरक्षण देने के चक्कर में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष-आशीष गोयल, प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल-ईशा दुहन व निदेशक कार्मिक प्रशासन- एस के पुरवार सभी सम्मिलित हैं और रिश्वत की धन राशि ढाई करोड कैसे बँटी यह हम नहीं विभागीय अधिशासी अभियंता ने अपने पत्र के द्वारा मुख्यमंत्री को लिखित पत्र देकर और स्वयं मिल कर बताया ।

एक व्यक्ति को समय पूर्व अधीक्षण अभियंता बनाया और फिर पश्चिमाचल विद्युत वितरण निगम मेरठ शहर के विक्टोरिया पार्क के अपने कार्यालय में बैठी अवैध रूप से नियुक्त प्रबंध निदेशक ईशा दुहन जो कि 2014 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी है और इन्होने इतने कम कार्यकाल में ही भ्रष्टाचार की दुनिया में अपना नाम कमा लिया है कि उनके भ्रष्टाचार की चर्चा माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के सामने भी हो रही है।

वैसे भी कुछ समय पूर्व समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र ने प्रबंध निदेशिका महोदय के बारे में भ्रष्टाचार के साक्ष्य सहित अपने अखबार में खबर प्रकाशित की थी जिसमें कि महोदया द्वारा महा भ्रष्टाचारी वेद प्रकाश कौशल जिसका चयन अधीक्षण अभियंता पद पर ही गलत रूप से हुआ है, को उपकृत करने का प्रमाण दिया गया था और बदले में चार इंच मोटा मैट पूरे घर बिछाया गया था वैसे भी महोदया के ऊपर अधीक्षण अभियन्ताओ को महत्वपूर्ण अधीषासी अभियन्ताओ के पदो का अतिरिक्त कार्यभार देने का भी आरोप लग चुके है ।

चेयरमैन पावर कार्पोरेशन द्वारा 2010 बैच आईडी वाले 5 अधिशासी अभियंताओ को अधीक्षण अभियंता पद पर प्रमोशन आदेश को निरस्त कर दिया गया। परंतु इन्ही अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन द्वारा 2014 बैच के वेद प्रकाश कौशल सहित तीन सिविल (जानपद) के अधिशासी अभियंताओ को अधीक्षण अभियंता को चांदी के जूते के बल पर पाए पदोन्नति को क्यों नही निरस्त नही किया गया?

यह सवाल कार्पोरेशन के गलियारों मे चल रहा है और जिसका जवाब जिम्मेदारों के पास नही है। जबकि इन तीनो सिविल के अधिशासी अभियंताओ को पूर्व मे प्रमोशन मे शिथिलता का लाभ मिल चुका है और 2017 मे मात्र 5 वर्ष मे ये सहायक अभियंता से अधिशासी बन गए थे। फिर कुल सेवा अवधि 11 वर्ष मे ही इन्हे दुबारा कैसे प्रमोशन मिल गया? इस सवाल के घेरे के केंद्र मे आशीष गोयल, अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन है?

वैसे वेद प्रकाश कौशल के विरुद्ध करोड़ो के घोटाले मे विभागीय जाँच लंबित होने , विजलेन्स की गोपनीय जांच मे दोषी पाए जाने और स्टेट विजिलेंस की खुली जाँच चलने के बावजूद पदोन्नति पाने से यह साबित हो गया कि पावर कार्पोरेशन मे चांदी के जूते के बल पर किसी भी नियमावली की धज्जियां उड़ाई जा सकती है।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड मे इसके पहले ऐसा कोई उदाहरण नही है कि कोई सहायक अभियंता अपनी कुल सेवा के 11 वर्ष मे ही दो प्रमोशन पाकर अधीक्षण अभियंता बन गया हो। वेद प्रकाश कौशल द्वारा प्रमोशन के बाद पश्चिमांचाल पहुँच कर तो भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड ही तोड़ दिये। जनाब को वहाँ पर जाँच समिति का संयोजक भी बना दिया गया यानि एक भ्रष्टाचारी अब दूसरो के भ्रष्टाचार की जाँच करेगा। जबकि 2021 मे इनको भ्रष्टाचार के एक प्रकरण में पंकज कुमार, एमडी द्वारा वृहद दंड दिया जा चुका है । उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन का जब से गठन हुआ है तब से आज तक पूरे विभाग में चाहे वह ट्रांसमिशन हो उत्पादन निगम या वितरण निगम हो 110 टेंडर एक ही दिन में प्रकाशित करने का अभूतपूर्व रिकॉर्ड वेद प्रकाश कौशल द्वारा बनाया गया। पूर्व में भी प्रयागराज में करोड़ों के टेंडर खोल कर सुपरसोनिक रफ्तार से मात्र 40 मिनट मे प्रयागराज से लखनऊ पहुंचने का कारनामा कर चुके है उक्त टेंडर मे भी घोटाले का आरोप इन पर लगा था ।
सवाल यह है कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में सिविल के 41 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण काम कैसे बाकी रह गया? जिसको कि चुनाव के दौरान करने के लिए महोदया ने अनुमति दी।

अपने भ्रष्टाचार को असली जामा पहनाने मे बाधक बन रहे मुख्य अभियंता (सिविल) और अधिशासी अभियंता (सिविल) मेरठ को साजिश करके रास्ते से हटाया
गया। जिसमे पहले मुख्य अभियंता को निलंबित करा दिया और फिर अधिशासी अभियंता (सिविल) को मुख्य अभियंता (विद्युत) मुरादाबाद से संबद्ध करा दिया गया। इनके ट्रांसफर आदेश मे निगम हित मे ट्रांसफर दिखाया गया है। अब एक अधिशासी अभियंता (सिविल) को इलेक्ट्रिकल के मुख्य अभियंता से संबद्ध करके कौन सा निगम का हित हो रहा है?

इसका जवाब तो प्रबंध निदेशिका महोदया को देना ही पड़ेगा। वेद प्रकाश कौशल द्वारा मेरठ मे अपनी टीम के अधिशासी अभियंता को लाकर बैठाया गया। इस समय पूरे पश्चिमांचल विद्युत निगम में केवल एक अधिशासी अभियंता (सिविल) और एक अधीक्षण अभियंता (सिविल) तैनात है। यानि कि मैदान साफ है लूटने के लिए
इस ट्रांसफर के खेल को उन्ही सम्बंध अधिशासी अभियंता (सिविल) ने मुख्यमंत्री से लिखित रूप से शिकायत की है कि वेद प्रकाश कौशल ने विभाग के ठेकेदारों से मिलकर 41 करोड़ के टेंडर मे 6% कमीशन लगभग ढाई करोड़ वसूल करके निदेशक कार्मिक प्रशासन के माध्यम से प्रबंध निदेशक महोदया को एक करोड रुपए जैसी बड़ी रकम दिया गया और उनका ट्रांसफर कराने के अतिरिक्त 10 लाख अतिरिक्त दिये गये है ।

इस पत्र को जनता दर्शन मे दिया गया, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने अपने पत्र संख्या-UP04-0815 दिनाँक-05 सितंबर 2024 द्वारा प्रमुख सचिव (ऊर्जा) को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया है। अब देखना है कि वेद प्रकाश कौशल के प्रमोशन के प्रकरण पर कान मे तेल डालकर बैठने वाले चेयरमैन अपने उप मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कितनी ईमानदारी से करते हैं? खैर
युद्ध अभी शेष है ।

संवाद;
अविजित आनन्द संपादक

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