पेश हो रहा सातवा बजेट , किस वजह से देश की हालत आमदनी अठन्नी और खर्च रुपया हो गया
संवाददाता
मोहमद अरशद
मार्च, 2024 में उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले किसान पुष्पेंद्र अपनी थोड़ी सी जमीन पर मटर और गेहूं लगाते थे।
हर किसान की तरह वह भी लगातार नुकसान झेल रहे थे, आमदनी लगातार घट रही थी और खर्चा बढ़ता जा रहा था।
जिसके कारण उनके ऊपर करीब 1 लाख 4 हजार रुपए का कर्ज हो गया। वह इस कर्ज को चुका नहीं पाए और अंत में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली।
लेकिन इनके बारे में वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री को कुछ नहीं पता, इसलिए बजट इनके लिए नहीं बनाया गया है।
LocalCircles की रिपोर्ट बताती है-
देश के 48% परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। लोगों की आय कम हुई है और वे बचत का सहारा लिए जीवन जी रहे हैं।
आज देश की हालत – ‘आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया’ हो गया है।
23 जुलाई, 2024 को वित्तमंत्री निर्मला सीतरमण जी अपना सातवां बजट पेश करेंगी।
इस बजट को बनाने से पहले उन्होंने कुछ उद्योगपतियों, बैंकर्स, किसान संगठनों से मुलाकात कर विचार-विमर्श किया है।
लेकिन
क्या वे उन परिवारों से मिली हैं, जो दिन में तीन वक्त की रोटी नहीं खा पा रहे हैं?
क्या वे उन महिलाओं से मिली हैं, जो महंगाई से जूझ रही हैं?
क्या वे उन किसानों से मिली हैं, जो फसल का सही दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं?
क्या वे उन युवाओं से मिली हैं, जो पेपर लीक से प्रताड़ित हैं?
क्या वे असल हिंदुस्तान से मिली हैं?
ये स्पष्ट है कि वे उनसे नहीं मिली हैं।