बीते दो दशक के दौरान SC द्वारा दो लोगों को अदालत की अवमानना के मामले में सुनाई गई सजा
अनिल जैन
सुप्रीम कोर्ट बीते दो दशक के दौरान दो अलग-अलग मामलों में दो लोगों को अदालत की अवमानना के मामले में सजा सुना चुका है।
प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने 2020 में लाॅकडाउन के दौरान एक भाजपा नेता के परिवार की हार्ले डेविडसन बाइक पर बगैर हेलमेट और बगैर मास्क के सवार सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसे अदालत की अवमानना मानते हुए प्रशांत भूषण पर जुर्माना लगाया गया था।
इससे पहले मार्च 2007 में नर्मदा बाँध परियोजना के मुद्दे पर प्रख्यात लेखिका अरुंधति राॅय ने किसी जज का नाम लिए बगैर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की थी, जिसके लिए अरुंधती रॉय को अदालत की अवमानना के आरोप में एक दिन की जेल और 2000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। अरुंधति राॅय ने जेल भी काटी थी और जुर्माना भी भरा था।
इन दोनों मामलों से कहीं ज्यादा गंभीर है अभी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का मामला। दुबे ने सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना का नाम लेते हुए उन्हें देश में गृह युद्ध भड़काने का ज़िम्मेदार ठहराया है।
यह मामला स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और उसके आत्मसम्मान का है, जिसका पहले ही काफी क्षरण हो चुका है। अगर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती है तो एक बुरी नज़ीर कायम होगी। भविष्य में दूसरे लोग भी अदालत के फैसलों व जजों की नीयत पर सवाल उठाएंगे और कार्रवाई से बचने के लिए इस नज़ीर का सहारा लेंगे।
साभार: पिनाकी मोरे