बेशुमार बरकतें है इस में, अल्लाह ताला की राह में पेश किए हुए सदके को कभी हकिर व कमतर ना समझे!

download – 2021-08-03T215311.819

रिपोर्टर:-

ये 1282 हिजरी की बात है यानी आज से लगभग 160 साल पहले की सऊदी अरब के बुरैदा शहर में मुनीरा नामी एक नेक और सालेह खातून ने मरने से पहले अपने ज़ेवरात भाई के हवाले किए कि:
मेरी वफात के बाद इन ज़ेवरात को बेचकर एक दुकान खरीद लें ।
फिर उस दुकान को किराये पर चढ़ाएं और आमदनी को मुहताजों पर खर्च कर दें।
बहन की वफात के बाद भाई ने वसीयत पर अमल करते हुए उनके ज़ेवरात बेच कर बहन के नाम पर 12 रियाल में एक दुकान खरीद ली ।
उस ज़माने में 12 रियाल की बड़ी वैल्यू थी। और उसे किराये पर चढ़ा दिया ।
किराये की रक़म से मुहताजों के लिए खाने पीने की अशिया खरीद कर दी जाती रही ये सिलसिला पूरे 100 साल जारी रहा।
100 साल बाद दुकान की माहाना किराया 15 हज़ार रियाल तक पहुंच चुकी थी और उस रक़म से ज़रूरतमंदों के लिए अच्छी खासी चीज़ें खरीद कर दी जाती थीं।
फिर वो दिन आया कि सऊदी हुकूमत ने बुरैदा की जामा मस्जिद में तौसीअ करने का फैसला किया और ये दुकान तौसीअ की ज़द में आ रही थी चुनांचा हुकूमत ने 5 लाख रियाल में ये दुकान खरीद ली।
दुकान की देखभाल करने वाले अमानतदार शख्स ने उस बड़ी रक़म से एक दूसरी जगह एक पूरी इमारत बना ली जो कि 4 बड़ी दुकानों और 3 फ्लैट्स पर मुश्तमिल है।
उन दुकानों और फ्लैट्स से अब माहाना लाखों रियाल किराया आता है और ये किराया अल्लाह की राह में खर्च किया जाता है।
डेढ़ सौ साल पहले उस नेक खातून ने 12 रियाल अल्लाह की राह में सदक़ा ए जारिया के तौर पर पेश किया था आज वो 12 रियाल लाखों रियाल में तब्दील हो गए हैं-।
इस दौरान जो अज्र मरहूमा को मिलता रहा होगा उसका हिसाब किताब तो अल्लाह तआला को ही मालूम होगा।
सोचने की बात ये है कि अगर वो अपने उन ज़ेवरात को समाज की रिवायत और रस्म के मुताबिक़ अपनी बेटी को देती और बेटी आगे अपनी बेटी को देती पोती तक पहुंचते पहुंचते ये ज़ेवरात बोसीदा और आऊट ऑफ फैशन होते फिर कहीं फेंक दिए जाते।
लेकिन उस नेक खातून ने सदक़ा ए जारिया का जो खूबसूरत फैसला किया उसकी बदौलत डेढ़ सौ साल से ज़ायद अरसा हुआ।
लाखों मुहताज लोग उससे मुस्तफिज़ हो रहे हैं।
अल्लाह तआला की राह में पेश किए हुए सदक़े को हक़ीर और कमतर ना समझें।
अल्लाह करीम सदक़ात व खैरात में बरकत डालता है और बढ़ाता है!

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT