महामारी की तमाम चुनौतियों के बावजूद मरीजों के स्वस्थ होने की दर संतोषजनक है नकारात्मक नहीं सकारात्मक हो खबरे?

रिपोर्टर:-
बार-बार एक ही तरह का समाचार सुन और पढ़ कर लोगों के मस्तिष्क में महामारी का बढ़ रहा खौफ।
नकारात्मक नहीं सकारात्मक भी दिखाएं मीडिया व सोशल मीडिया,जिससे हौसलों में ना आये कमी !
पनचानबे फीसद लोग घर पर ही रह कर हो रहे स्वस्थ.।
सही है कि यह दौर बहुत मुश्किल है लेकिन यह भी सच है कि महामारी की तमाम चुनौतियों के बावजूद मरीजों के स्वस्थ होने की दर संतोषजनक है।
पनचानबे फीसद लोग घर पर रह कर ही स्वस्थ हो रहे है।
यह महामारी शरीर से अधिक मस्तिष्क,सांस,फ़ेपरे पर प्रहार कर रहा है!
आज कल चारों ओर कोरोना संबंधी समाचारों की बाढ़ आ गई है।
बार-बार एक ही तरह का समाचार सुन और पढ़ कर लोगों के मस्तिष्क में महामारी का खौफ बैठ गया है।
बार-बार नकारात्मक विचारों से शरीर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है।
इस नकारात्मकता की वजह से लोग मानसिक तनाव का जीवन जी रहे हैं।
धीरे-धीरे यह मानसिक तनाव बीमारी का रूप धारण करता जा रहा है आज कोरोना एक मानसिक बीमारी का रूप धारण कर चुका है!
यह देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना के समाचारों से दूर रहते हैं, उन पर महामारी का प्रभाव कम है।
कोरोना पर विजय प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क को शांत और स्वस्थ होना चाहिए। कोरोना से सावधानी जरूरी है, लेकिन रात-दिन उसी के विषय में नहीं सोचना चाहिए।