मुफ्ती सलमान अजहरी की गिरफ्तारी महज एक छड़यंत्र

खानकाहे रज़वीया नूरिया तहसीनिया, हज़रत अल्लामा तहसीन रज़ा खान रोड, पुराना शहर बरैली शरीफ

: मुफ़्ती सलमान अज़हरी की गिरफ़्तारी पर मुस्लिम माशहरे मे कथित रोष

दिनाक :05/02/24

आज यह खबर मुंबई से मालूम हुई कि बरैली मसलक के मशहूर आलिम ए दिन मुफ़्ती सलमान अज़हरी को एक मामूली बयान पर गिरफ्तार कर लिया गया है ।

खानकाहे तहसीनिया के प्रबंधक एवं इत्तेहाद ए अहलेसुन्नत मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सोहैब रज़ा खान ने इस गिरफ्तारी पर ना हक़ उलमा ए अहले सुन्नत को सताने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा हुकूमत मे बैठे लोग राजनितिक हित के लिए मुसलमानो पर ज़ुल्म ओ सितम के पहाड़ तोड़ रहे है। एक वर्ग के नेता खुल्लम खुल्ला मुसलमानो को और इस्लाम को बुरा भला कहते है। उसपर कोई करेवाही नहीं होती। मगर मुफ़्ती साहब ने 31जनवरी के रोज जूनागढ़ स्थित अपने दिए गए तकरीर(बयाना) के दौरान किसी हिंदू शब्द का ना इस्तेमाल किया और न किसी भी धर्म के खिलाफ किसी का नाम तक भी नहीं लिया।फिर ऐसे में नाहक ही उनको गिरफ्तार किया गया? लिहाजा इससे वाज़ेह है कि देश मे मुसलमानों के खिलाफ नाइंसाफी चरम पर है। जब से बाबरी ढांचे को शहीद किया गया है मुसलमानों की मस्जिदों और दरगाहों को महज निशाना बनाया जा रहा है।

आमतौर पर मुसलमानों के साथ साजिशें रची जा रही है।कभी जबरन मुसलमानों को घेर कर कुछ धर्म के ठेकेदार मुस्लिमों के साथ मोब लीचिंग को अंजाम दे कर कथित तौर से मारपीट कर जान से भी मरवाने में पीछे नहीं हतव्रहे तो कभी भीड़ इकट्ठे कर निहत्थे मुसलमानों पर जय श्रीराम के नारे लगाने के लिए उकसाते हुए मुस्लिमों के साथ मारपीट कर रहे है। तो कभी जबरन मस्जिद मे मुर्तिया रखवाकर तो कभी बुलडोज़र चलाकर हमारी इबादत गाहो को मिस्मार किया जा रहा है,पर मसाजिद पर नाजायज़ दावे जिसका कोई सबूत नहीं है कि मंदिर तोड़कर बनाए ना कोई धर्म इसकी इजाज़त देता है।

इस्लाम मजहब और पवित्र कुरान मे फरमाया गया है कि किसी की इबादत गाह को तोड़ कर मस्जिद बनाना जायज़ ही नहीं है।लिहाजा इसका कोई साक्ष भी नहीं कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। अगर ऐसा ही होता अगर मंदिर ही तोडना इस्लामी हुक्मरानों का काम होता तो हमारे देश और दुनिया भर में हज़ार साल इस्लामी हुकूमत रही लिहाजा कोई मंदिर ना बाक़ी रहता। अकबर की पत्नी जोधा बाई का मंदिर लाल क़िले मे हैँ। तो क्या लाल क़िला भी आपकी मिल्कीयत हो जाएगा,?

अगबर बादशाह ने दिन ए इलाही एक नए मज़हब की बुनियाद डाली और वोह हिन्दू मुस्लिम दोनों ही धर्मो को समानता की नज़र से देखते थे। यही वजह है उस दौर मे हुई तामीर मे हिन्दू स्वास्तिक और घंटीया के निशान उस ज़माने की कई ईमारतो पर मिलते है। तो उसको मंदिर समझना एक भूल या सोची समझी साज़िश मालूम होती है, मुसलमानों को नाहक किसी भी बात का टारगेट करने की कोशिश न करे।देश की गद्दी पर आसीन रहे हुक्मरानों से और
हमारी सभी समाज से यह अपील है कि कानून का दुरुपयोग होने न दे,देश की अखंडता और शांति बनाए रखे आगामी चुनावों तक ये नफरतो का बाजार परवान ना चढ़े। इसकी संज्ञा ले।

एडमिन

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