मुस्लिम समाज ने इस न्यूज पेपर का क्यों किया बहिष्कार?

मुंबई
संवाददाता

एजाज शैख

Boycott Lokmaat News Paper Jalgaon
लोकमत न्यूज़पेपर की इस्लाम और मुस्लिमों को लेकर हमेशा ही विरोधी भूमिका क्यों होती है?

लोकमत न्यूज़ पेपर संपादकीय में फिलिस्तीन को लेकर लोकमत के चेयरमैन विजय दर्डा का लेख आया है। इसमें उन्होंने फिलिस्तिनियों के ऊपर इसराइल के हमले का साफ तौर पर समर्थन किया है। और हमास को आतंकी संघठन बताकर तरह तरह की दलीले देकर आज फिलिस्तीन, गाज़ा पर हो रहे हमले को सही ठहराया जा रहा है।

अब सवाल आता है कि इतना ज्ञान और इतिहास रखने वाले शख्स को ये नहीं पता है क्या इजराइल द्वारा फिलिस्तिनीयों की जमीन पर कब्ज़ा किया है? इजराइल एक शरणार्थी है, वहीं इजराइल अब तक लाखों बेगुनाह फिलिस्तिनीयों को मौत के घाट उतारा है। जिनमे कई मासूम बच्चे और महिलाए भी शामिल है। तब विजय दर्डा और लोकमत के आँखों पर पट्टी बंधी होती है क्या?

ऐसे मौजु पर तब इजराइल को आतंकवादी बोलने की हिम्मत तक इनमे क्यों नहीं होती? हर बार सिर्फ मुस्लिम/इस्लामी विरोधी ही इनकी भूमिका होती है। जोकि सच्चाई से बेहद कोसो दूर होती है। ऐसी दोहरी सोच रखने वाला लोकमत के मालिक का न्यूज पेपर लाखो मुस्लिम परिवार अपने घर पर बुलाते है। खबरे पढ़ते है।. ये कहाँ तक सही है इसपर हमे सोचने की जरूरत है। अगर लोकमत ने मुसलमानों से माफी नही मांगी तो पूरा मुस्लिम समाज इस न्यूज पेपर का बहिष्कार करने की सोच पर मजबूर हो जायेगा।

Boycott लोकमत news Paper Jalgaon

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