मोदी सरकार के वो 9साल में किए गए वादे सब झूठे निकले जिस की पोलखोल
मोदी सरकार के नौ साल की पोल खोल
इस साल 26 मई को मोदी सरकार के नौ साल पूरे हुए। इन नौ सालों में पीएम मोदी ने 2013 से लेकर2023 तक देश की आम जनता से जितने भी वादे किए उनमें एक भी पूरा नहीं हुआ। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश के सबसे बड़े ओहदे से जितने बड़े पैमाने पर गलतबयानियां (झूट) की गईं उसकी कोई मिसाल देश की तारीख (इतिहास) में नहीं मिलती।
हां यह जरूर हुआ है कि इन नौ सालों में देश खुसूसन उत्तर-भारत के हिन्दुओं और मुसलमानों के दरम्यान नफरत की जो खाई पैदा कर दी गई उससे समाज में जहर फैल गया और इस खाई को भरने में लम्बा वक्त लगेगा तब भी ये खाई भर नही सकती।नौ सालों में देखा यह गया कि पीएम नरेन्द्र मोदी रोज बरोज नए नए मुद्दे और ‘गोलपोस्ट’ तब्दील करते रहते हैं। एक एलक्शन में वह जितने वादे करते हैं अगले एलक्शन तक उन्हें खुद भुलाकर दूसरी बात करने लगते हैं।
आजकल बीजेपी सरकारों की जानिब से बार-बार यह प्रोपगण्डा किया जा रहा है कि सरकार ने कितने एयरपोर्ट बनवाए और वंदे भारत ट्रेनें चला दीं गई। सवाल यह है कि एयरपोर्ट बनाने सेभूखों के पेट में खाना तो नहीं पहुंच जाएगा और देश के एक सौ बयालीस करोड़ लोगों में कितने फीसद लोगों को एयरपोर्ट से फायदा होने वाला है? यह हकीकत तो सबके सामने है कि मुल्क के तकरीबन साढे बयासी करोड़ लोग गुरबत की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। अगर उन्हें मिलने वाला पांच किलो मुफ्त का राशन बंद हो जाए तो उनके सामने एक वक्त की रोटी का मसला खड़ा हो जाएगा।
यही हाल सरकारी मेडिकल खिदमात और तालीम का है। लेकिन मोदी हर बार पुरानी बात को नजरअंदाज करके नया नया शगूफा छोड़ हर नया नारा देने में माहिर होते गए।
2013 में जबसे बीजेपी ने मोदी को अगले वजीर-ए-आजम की हैसियत से प्रोेजेक्ट किया था उसी वक्त से आम लोगों को लुभाने वाले तरह-तरह के नारे भी गढे गए। जिनमें एक नारा था ‘बहुत हुआ नारी पर अत्याचार, अब की बार मोदी सरकार’। 2014 में मोदी सरकार बन गई लेकिन इस सरकार में ख्वातीन और बेटियों पर होने वाले मजालिम दिन दूने रात चैगुनी बढते गए।
यह सरकार बेटियों और ख्वातीन की इज्जत की कितनी परवा करती है यह पूरी दुनिया ने 28 मई को उस वक्त देख लिया जब दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक महीने से ज्यादा मुद्दत से बैठी पीड़ित पहलवान बेटियों ने नई बनी पार्लियामेंट की जानिब जाने की कोशिश की तब दिल्ली पुलिस ने उन्हें बुरि तरह मारा पीटा और, जमीन पर गिरा दिया, घसीटते हुए ले गए। उनके हाथों में तिरंगा था इसकी भी परवा नहीं की गई, जंतर-मंतर पर रखा उनका सामान और टेंट वगैरह तोड़कर बर्बाद कर दिया गया।
महीनों से धरने पर बैठी बेटियों की हमदर्दी में पीएम नरेन्द्र मोदी और उनकी ख्वातीन और बच्चों की बहबूद वजीर स्मृति ईरानी के मुंह से एक लफ्ज तक भी नहीं निकला। मोदी या स्मृति ईरानी अगर धरने पर बैठी पहलवान बेटियों को बुलाकर एक बार बात कर लेते तो शायद वह सब न होता जो 28 मई को उनके साथ हुआ। मोदी का एक और वादा था कि उनकी सरकार आई तो महंगाई कम कर देंगे, नारा लगा कि ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’।
सरकार में जो नतीजा सामने आया वह यह कि चार सौ रूपए में मिलने वाला गैस सिलेण्डर ग्यारह सौ पच्चीस रूपए का हो गया। पेट्रोल और डीजल और सीएनजी की कीमतें सौ रूपए फी लीटर से तजावुज कर गई। आज दाल साठ से सत्तर रूपए फी किलोग्राम खाने का तेल दो सौ रूपए किलो और दूध छाछठ से सत्तर रूपए लीटर तक मिल रहा है। इस से बढ़कर और क्या चाहिए?
मोदी ने अपनी सरकार बनने से पहले आम गरीब जनता को हर एक के बैंक खाते में 15,15 लाख रुपए जमा का देने का झांसा दिया था यहीं नहीं मुल्क में सौ स्मार्ट सिटी बनाने और बुलेट ट्रेन चलाने का भी वादा किया था। अब वह इन तीनो वादों का नाम तक नहीं लेते। यूं भी कहा था कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार फराहम कराएंगे, नौ सालों में अट्ठारह करोड़ लोगों को रोजगार मिल जाना चाहिए था लेकिन एक करोड़ को भी अबतक कुछ भी नहीं मिला।
मोदी ने चीख-चीख कर कहा था कि 2022 तक काश्तकारों की आमदनी दो गुनी कर देगे, आमदनी तो दो गुनी हुई नहीं, बल्कि काश्तकारी का खर्च जरूर दो गुना हो गया। बडे़ ड्रामाई अंदाज में मोदी ने एलान किया था कि 2022 तक मुल्क के तमाम बेघरों को पक्का मकान देंगे, जिसमें अच्छा किचन होगा, टायलेट होगा, नल होगा। उसमें हर वक्त
पानी आएगा और बिजली के एलईडी बल्ब होंगे। हमारे दिए हुए मकान पिछली सरकारों जैसे नहीं होंगे।
अब खुद मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर जारी किए गए इश्तेहार में कहा गया है कि नौ सालों में हमने तीन करोड़ परिवारों को पक्का मकान दिया। ग्यारह करोड़ बहत्तर लाख शौचालय बनवाए और बारह करोड़ घरों तक पीने का साफ पानी पहुंचाया है। अगर यही रफ्तार रही तो एक सौ चालीस करोड़ की आबादी को यह सारी सहूलतें मिलने में कई सौ साल का वक्त लगेगा। इस इश्तेहार में जमकर झूट बोला गया है।
दावा ये भी किया गया है कि नौ सालों में हर दिन दो कालेज और हफ्ते में एक युनिवर्सिटी कायम की गई। मतलब छः हजार पांच सौ सत्तर (6570) नए कालेज और चार सौ अरसठ (468) नई युनिवर्सिटियां कायम हुईं। यह कहां कायम की गई इसका कुछ अता-पता नहीं है। एक और झूटा प्रोपगण्डा कि सात नए आईआईएम और सात नए आईआईटी नौ सालों में बनाए गए, लेकिन कहां बने जगह नहीं बताएंगे!
मोदी का एक बड़ा वादा यह भी था कि देश के सभी लोगों के लिए आसान और कारामद हेल्थ सहूलतें मुहैया कराई जाएंगी। हेल्थ खिदमात में कितनी तरक्की हुई यह पूरी दुनिया ने कोविड के दौरान देख लिया। जब आक्सीजन इंजेक्शन मामूली दवाओं और एम्बुलेंस के लिए लाखों लोगों ने सड़कों पर दम तोड़ दिया।
इश्तेहार में दावा किया जा रहा है कि आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की तादाद 2014 तक सिर्फ छः थी जो अब तेइस हो गई है। दोनों बातें गलत हैं। 2014 तक एम्स की तादाद छः से कहीं ज्यादा थीं और अब तेइस भी नहीं हुई है। इसकी हकीकत चंद महीने पहले उस वक्त खुली जब बीजेपी सदर जेपी नड्डा ने चेन्नई में झूट बोलते हुए तकरीर की कि तमिलनाडु को मोदी ने एम्स दिया है। उसकी इमारत बनकर तैयार हो चुकी है। बहुत जल्द पीएम मोदी के हाथों उसका इफ्तेताह होगा। अगले ही दिन इलाके के लोक सभा मेम्बर ने मौके पर जाकर देखा तो एम्स के लिए एक्वायर की गई जमीन पर बुनियाद तक नहीं खुदी थी। मेम्बर पार्लियामेंट ने उस जगह का वीडियो वायरल करके बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश किया लेकिन जेपी नड्डा और उनकी पार्टी के लोगों को यह हकीकत खुलने के बाद भी शर्म नहीं आई। उत्तरप्रदेश समेत मुल्क के कई मकामात पर अस्पताल बनाने के इसी किस्म के हवा-हवाई दावे किए जा रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी ने ऐसा भी दावा किया था कि उनकी सरकार आई तो अमरीकी डालर की कीमत चालीस रूपए से ज्यादा नहीं होने दी जाएगी। उस वक्त के वजीर-ए-आजम मनमोहन सिंह पर तंज करते हुए मोदी ने कहा था कि डालर के मुकाबले रूपए की कीमत और वजीर-ए-आजम की साख दोनों गिर रही है। मुकाबला रूपए की कीमत और वजीर-ए-आजम की उम्र के दरम्यान चल रहा है। अब एक डालर तिरासी रूपए से भी पार कर गया है। अब मोदी यह नहीं बता रहे हैं कि रूपए की कीमत के साथ-साथ वजीर-ए-आजम की साख भी गिर रही है या नहीं और डालर के मुकाबले रूपया उनकी उम्र से कितना आगे निकल गया है।
नौ सालों में मोदी ने एक काम जरूर किया कि सरकारी पैसे से देश के कई मंदिरों की मरम्मत और कोरिडोर बनवाकर मुल्क के सेक्युलरिज्म की धज्जियां उड़ा दीं। अभी तक यही सुनते आए थे कि सरकारी पैसे का इस्तेमाल किसी मजहबी काम में नहीं हो सकता लेकिन मोदी ने खुलकर ऐसा किया अयोध्या, बनारस, उज्जैन, बद्रीनाथ, केदारनाथ समेत कई मंदिरों के इर्दगिर्द कारिडोर बनाने और दीगर तरक्कियाती कामों पर हजारों करोड़ रूपए खर्च कर दिए।
उनकी सरकार है वह जो चाहें
करें किसी को कोई एतराज नहीं है लेकिन इसके लिए उन्हें पार्लियामेंट में बिल पास करके सरकार को मजाज (अधिकृत) करना चाहिए था कि सरकारी खजाने का इस्तेमाल मजहबी कामों में भी किया जा सकता है। ऐसा बिल पास किए बगैर उन्होने सिर्फ हिन्दुओं के मजहबी मकामात पर हजारों करोड़ रूपए खर्च कर दिए संविधन इसकी इजाजत नहीं देता।
संवाद;मो अरशद यूपी