यहां केवल एक वोट से जीती थी बीजेपी जबकि बीस साल से कांग्रेस का हो रहा था सूपड़ा साफ
मालवा धार
संवाददाता
इस सीट पर 1 वोट से जीती थी बीजेपी, पिछले दो दशक से हार रही कांग्रेस, जानें क्या है राजनीतिक समीकरण
धार। सियासत में कहा जाता है कि सत्ता की चाभी मालवा निमाड़ के पास होती हैं। इस सिलसिले में यहां की एक ऐसी सीट का जिक्र करते हैं, जिस पर दो दशक से बीजेपी का कब्जा है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी कांग्रेस यहां सेंध नही मार पाई है। मालवा की धार विधानसभा सीट पर दो दशक यानी 20 साल से एक ही पार्टी काबिज है। 2003 से बीजेपी जीतती आ रही है। पिछली तीन बार से नीना विक्रम वर्मा ने जीतकर यहां हैट्रिक मारी है। 2018 में जहां बीजेपी को सीट कम मिली थीं, लेकिन धार विधानसभा सीट पर नीना वर्मा ने करीब 6 हजार वोटों से जीत हासिल की थीं।
धार विधानसभा सीट का सियासी मिजाज:
पहली बार 1977 में यहां पर चुनाव हुए. अब तक हुए 10 चुनावों में सबसे ज्यादा 7 में भाजपा ने जीत दर्ज की है। 1990 के बाद के चुनाव की बात करें तो तब के चुनाव में विक्रम वर्मा बीजेपी के टिकट पर चुने गए। बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं और केंद्र में अटल बिहारी की सरकार में मंत्री भी रहे। 1998 के चुनाव में कांग्रेस जीत गई थी, लेकिन 2003 में दिग्विजय की सरकार को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था, यहां भी बीजेपी के जसवंत सिंह राठौड़ को जीत मिली, लेकिन 2008 में फिर भाजपा ने विक्रम वर्मा की पत्नी को टिकट दिया. इन्होंने जीत की हैट्रिक बना ली है।
धार में जातिगत समीकरण:
2018 आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा में कुल 2.54 लाख वोटर्स थे। इसमें पुरुष वोटरों की संख्या 1.39 लाख से ज्यादा थी और महिला वोटर्स की संख्या 1.19 लाख से ज्यादा थी। जातिगत समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो पता चलता है कि यहां पर राजपूत, राठौर, माली और मराठा के वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं। इनके अलावा ब्राह्मण और पाटीदार की तादाद भी अच्छी खासी है। 2018 में नीना वर्मा ने कांग्रेस की प्रभा सिंह गौतम को हराया था।
धार ने वोटिंग करने वालो का प्रतिशत ज्यादा रहा है:
निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2018 में मध्य प्रदेश में 75.06 फीसदी मतदान हुआ। जबकि, 2013 में 72.08 प्रतिशत मतदाताओं ने वोटिंग की थी। महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 74.02 प्रतिशत रहा। वर्ष 2013 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 70.12 प्रतिशत रहा था। इस बार बीजेपी की रणनीति में ये शामिल हैं कि महिलाओं को पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत झोंकनी है।
बीजेपी विधायक नीना वर्मा के सामने चुनौती:
आदिवासी बहुल धार जिले की सात विधानसभा सीटों में धार विधानसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा वाली है। धार में कई अहम योजनाओ को स्वीकृत करवाया गया है। इन योजनाओं को अमली जामा पहनाना विधायक के सामने एक एक बड़ी चुनौती है। इस इलाके में नर्मदा का पानी लाना सबसे बड़ा काम है। तालाबों के कल्याण की योजना अभी भी अधर में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ माह पूर्व धार में नर्मदा नदी के पानी लाने की घोषणा की थी। साथ ही धार को एक मेडिकल कालेज की सौगात देने की घोषणा की है। ये सभी घोषणाएं अभी सिर्फ घोषणाएं ही रही हैं।
इंदौर-पीथमपुर को मेट्रो से जोड़ने की मांग:
पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया है। यह हिस्सा रेल सुविधा से लेकर कई सुविधाओं के प्रति उम्मीद रखता है।. इंदौर और पीथमपुर को मेट्रो से जोड़ने की मांग उठी है। पीथमपुर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर दीगर कई बुनियादी जरूरतों पर को पूरा नहीं किया गया है। ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर कई तरह के कार्य हुए हैं। इसके बाद भी सड़क, पानी के मामले में अभी लोगों को मायूसी हाथ लगी है।
पिछले तीन चुनावों में राजनीतिक समीकरण:
अगर पिछले तीन चुनावों की बात की जाए, तो साल 2019 में यहां से बीजेपी की नीना वर्मा ने चुनाव जीता था। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की प्रभा सिंह गौतम को 5,718 वोटों से हराया था। इसके पहले भी साल 2013 में नीना विक्रम वर्मा ने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ते हुए शानदार जीत हासिल की थी। इस चुनाव को उन्होंने 11,482 वोटों से जीत दर्ज की थी। नीना वर्मा पहली बार इस विधानसभा से साल 2008 में चुनाव जीतकर सदन पहुंची थी। उन्होंने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा था। ये चुनाव उन्होंने मात्र 1 वोट से जीता था।
संवाद;गौरव पटेल