यहां लोकसभा के दंगल में कौन मारेगा बाजी?
जबलपुर
संवाददाता
पंकज पाराशर छतरपुर
जबलपुर लोकसभा के दंगल में कौन मारेगा बाजी: बीजेपी व कांग्रेस ने नए चहरों पर लगाया दाव.
बीजेपी से आशीष दुबे और कांग्रेस से दिनेश यादव लोकसभा के रण में पहलवान
जबलपुर लोकसभा सीट पिछले 28 साल से कांग्रेस पार्टी नहीं जीत पाई है। इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने यहां से नए चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है । कांग्रेस ने जबलपुर लोकसभा सीट से दिनेश यादव को अपना उम्मीदवार बन्ना का चुनावी रण में उतारा है और बीजेपी ने आशीष दुवे को टिकट दिया है।
प्रत्याशी परिचय
कांग्रेस- दिनेश यादव
कांग्रेस ने जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से दिनेश यादव को मैदान में उतारा है। दिनेश यादव के राजनीतिक करियर की बात करें तो दिनेश यादव पिछले तीन दशकों से जबलपुर में कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं, वे लम्बे समय तक जबलपुर निगम के पार्षद रहे।
1980 में, डीसिल्वा ने रत्ना श्री पल्ली के शाला नायक की भूमिका निभाई। 1984 में उन्हें कांग्रेस को बूथ अध्यक्ष के रूप में चुना गया। वह 1986 में डीएनजैन कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। 1988 में एनएसयूआई (जिला) महासचिव नियुक्त किये गये।
1990 में उन्हें युवा कांग्रेस (जिला) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1994 में महात्मा गांधी ने वार्ड पार्षद का दायित्व निभाया। उन्हें एमआईसीए के सदस्य की जिम्मेदारी भी मिली । 2000 में निर्वाचन क्षेत्र अध्यक्ष, 2004 में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष, 2009 में मेयर का चुनाव लड़ा, 2010 में शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला। वह मंडला (जिला) संगठन के प्रभारी रहे और वर्तमान में राज्य कांग्रेस महासचिव के रूप में कार्यरत हैं।
बीजेपी- आशीष दुबे
आशीष दुबे 1990 से बीजेपी से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। आशीष दुबे ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। आशीष दुबे बी.कॉम-एलएलबी ग्रेजुएट हैं। जबलपुर से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी आशीष दुबे ने राज्य मंत्री तक का सफर तय किया है। वह जिला मंत्री और युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष हैं। वह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और प्रदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य कर चुके हैं। उन्होंने 2021 में राज्य मंत्री के रूप में पदभार संभाला।
जबलपुर क्षेत्र का चुनावी इतिहास
आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सुशील कुमार पटेरिया और मंगरू गुरु उइके दूसरे सांसद पद पर रहे। इसके बाद सेठ गोविन्द दास ने 1962, 1967 और 1971 में चुनाव जीता। लेकिन 1974 में सारथ यादव यहां से जीते. 1977 में भी शरद यादव ने यहां से सीट दर्ज की थी ।
1974 तक जबलपुर लोकसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का दबदबा था। 1982 में जबलपुर में पहली बार कमल खिला और बाबूराव परांजपे बीजेपी के पहले सांसद बने. लेकिन, 1984 में कांग्रेस ने यह सीट दोबारा जीत ली। 1989 के चुनाव में यह सीट दोबारा बीजेपी के पास आई । 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की।इसके बाद 1996 से जबलपुर लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन गया, जहां 28 साल तक लगातार कमल खिलता रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने नए चेहरे को उम्मीदवार बनाया।
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र
जबलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं – पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट जबलपुर पश्चिम, पनागर, सिहोरा
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 1,883,411 मतदाता हैं। इनमें 957,090 पुरुष मतदाता और 926,224 महिला मतदाता हैं. तृतीय लिंग के 97 मतदाता हैं।