लोकसभा चुनाव 2024,पहले चरण के मतदान में बीजेपी का कोई बढ़त नही,इसके बाद दूसरे चरण की बात करे तो बीजेपी के ताबूत में दूसरी कील?
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
दूसरा चरण या कहे तो बीजेपी के ताबूत में दूसरी कील।
प्रथम चरण के चुनाव के पश्चात एक हरियाणा बीजेपी का नेता जिसे राजस्थान की कुछ सीट पर प्रचार की ज़िम्मेवारी दी गई से बात हुई कि क्या माहौल है और अपने स्वभाव के विपरीत आश्चर्यान्वित रूप से उसने जवाब दिया इस बार मामला बड़ा टफ है।
मैंने कहा क्यों मोदी है ना? वो फिर इमोशनल बेवक़ूफ़ बना देंगे तो उसका जवाब था कि इस बार किसानों और स्पेशली जाटो ने लट्ठ उठा रखा है और कुछ सुनने और मानने को तैयार ही नहीं है तो इमोशनल कहा से बेवक़ूफ़ बनेंगे ?
सबसे बड़ी बात जो उसने मानी कि राम मंदिर जिसे वो तुरुप का इक्का समझ रहे थे। ज़मीन पर वो कोई मुद्दा ही नहीं है। क्योंकि किसान कह रहा है कि जब पूजने पे आये तो खेत की जाँटी ही सबसे बड़ा मंदिर है और जब खेत और खेती ही ना बचेगी तो मंदिर का क्या करेंगे ?
बताते चलें कि नार्थ जो बीजेपी का सबसे बड़ा गढ़ हुआ करता है, वहाँ अजीब क़िस्म का चुनाव लड़ा जा रहा है। जिसमें किसान से लेकर ओबीसी और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग इस चुनाव को अपने अस्तित्त्व की लड़ाई मान कर चुनाव लड़ रहे हैं और यह चुनाव जनता वर्सेज़ बीजेपी बनता जा रहा है!
राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली जहां 50:50 हो चुके है वही कश्मीर में बीजेपी को उम्मीदवार नहीं मिले और जम्मू और लद्धख में भी हालात टाइट है ।
जातिगत रूप से देखे तो जाटो के बाद राजपूत भी पहली बार बीजेपी के ख़िलाफ नज़र आये। क्योंकि जिस तरह वसुंधरा राजे और वी.के सिंह जैसे नेता की हालत बीजेपी ने की है और सभी जगह डमी सीएम बैठाये गये है तो राजपूतो को लगने लगा कि चुनाव जीतते ही इनका पहला टारगेट योगी आदित्यनाथ होने वाले है। जो पिछले चुनाव में तो किसी तरह सर्वाइव कर गये लेकिन इस बार बचना मुश्किल है।
वही अंदरखाने ये भी कहा जा रहा है कि योगी ख़ुद अपनी कुर्सी बचाने के लिए राजपूतों के विरोध को बनाये रखे है और वो चाहते है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो भी पूर्ण बहुमत से ज़्यादा सीट ना हो ताकि इनकी निरंकुशता से कुछ तो निजात मिले ।उसी तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का वोटर या तो साइलेंट है या खुल के ख़िलाफ़त में है।
अगर यही ट्रेंड क़ायम रहा तो बीजेपी 180 से ज़्यादा क्रॉस नहीं कर पाएगी और राजनाथ या गड़करी जैसे नेताओ को लग रहा है कि पूर्ण बहुमत ना होने की दशा में गठबंधन के लोग मोदी का विरोध कर के इनके पक्ष ने खड़े हो जाएँगे। बीजेपी इस बार बाहरी से ज़्यादा अपने आंतरिक विरोध से झूझ रही है जहाँ सिर्फ़ गुजराती गैंग के अलावा हर कोई इनसे निजात पाना चाहता है।
संभावित हार के डर से मोदी ने अपनी पुरानी ढपली और राग चालू कर दिया है अपने स्लीपर सेल को ऐक्टिव कर दिया और अगर दूसरे चरण में भी इसका इफ़ेक्ट नहीं हुआ तो ये अपने मास्टर प्लान पर काम करना शुरू कर देंगे। यह चरण और इसके आगे का चुनाव सभी के लिए सोच और समझ से काम लेने का है ना की इनकी भाषा और भाषण का रिएक्शन करने का। क्योंकि खिसियानी बिल्ली अपने सर को नोचने जा रही है इसलिए इन्हें इग्नोर कर और साइलेंटली इनके ख़िलाफ़ मतदान करे ।
इस देश की गद्दार और लुटेरी सरकार ने आप के जीवन के जो 10 साल बर्बाद किए है उनका हिसाब सिर्फ़ वोट के माध्यम से दिया जाना चाहिए ना की इनके बिछाये हुए जाल में फँस कर इनके धुर्वीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ा देना है।
गौर तलब है कि इस बार का चुनाव अपने आप में एक इतिहास बनाने वाला है जहां सारे संसाधन और संस्थाएँ अपना कर्तव्य और विवेक भूल कर देश को बर्बाद करने वाले मोदी के चरणों में लौट रहे थे। तभी आम जनता ने आगे बढ़ कर इस गैंग के अहंकार का मर्दन ही नही कर दिया बल्कि एक तानाशाह के जबड़ों से अपना भविष्य खींच कर सुरक्षित हाथ में सौंप दिया।
आये आगे बढे अधिक से अधिक बीजेपी के खिलाफ मतदान करे और एक एक करते हुए बीजेपी के ताबूत में एक दो नही बल्कि सात क़िले ठोक दे। बता दें मोदी को कि बेवकूफ समझ कर झूठे वादे करने वाले मोदी को इस बार वोटरों ने पूरी तरह से दुत्कार दिया है। मोदी का अहंकार ही ले डूबा है।
संवाद:पिनाकी मोरे