वह वर्ष 2014से इन 5मुद्दों पर सबसे ज्यादा बोलते रहे
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
2014 में मोदी इन 5 मुद्दों पर सबसे ज्यादा बोलते रहे
ये थे खास मुद्दे
1) महंगाई बेलगाम
2) काला धन
3) डिफेंस डील
4) गिरता रुपैया
5) सीमा पर शहीद होते जवान
बेलगाम मंहगाई
गौर तलब हो कि 100 दिन के अंदर मंहगाई कम करने की बात थी। लेकिन आज मोदी 10 साल बिता चुका है पर मंहगाई है कि काबू छोड़िये जनता का जीना दूभर है।
डीज़ल और पेट्रोल की कीमतें इस देश मे महगाई पर जोरदार असर डालती हैं और उस दौर में उसपे भी खूब बोलते रहे मोदी।
2014 में मोदी के सत्ता में आने पर डीज़ल ₹57.28/लीटर था और पेट्रोल ₹71.51/लीटर था।
लेकिनआज पेट्रोल ₹100/लीटर के पार है और डीज़ल ₹ 100/लीटर के पास है।इसी तरह बात अब काले धन की।
काला धन याद है वो 100 दिन में बिदेशों से काला धन लाने वाली मुहिम जिसकी वजह से सबके खाते में 15 लाख रुपया देने वाली बात जोरो शोरो से चली थी।
बाबा रामदेव का वो धरना काला धन के विरोध में ?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि टैक्स हैवन वाले देशों में भारत का पैसा पिछले 10 सालों में लगभग दोगुना पहुंच चुका।
डिफेंस डील*
डिफेंस सौदों पर खूब हंगामा मचाया गया। बोफोर्स से लेके अगुस्ता पर खूब चर्चा रही मोदी के भाषणों पर।
आज राफेल की डील के बारे में पूरी दुनिया जानती है कि किस कदर हेरफेर हुई और कैसे मनमोहन सरकार के डील के बदले मोदी सरकार ने कई गुना ज्यादा कीमत अदा की। और मोदी के प्रिय अनिल अंबानी की डूबती कंपनी को इसका हिस्सेदार बनाया गया।
गिरता रुपैया
जब रुपैया गिरता है तो देश की इज़्ज़त गिरती है” मोदी का मशहूर ये डायलॉग।
2014 में मोदी सरकार आने से पहले जब डॉलर के मुकाबले रुपैया जब 65.56 था तो बड़ा हंगामा मचा दिया था ।
आज जब एक डॉलर की कीमत भारतीय रुपैया 82 को भी क्रॉस कर गया पर कोई चर्चा नही है?
सीमा पर शहीद होते जवान
मोदी का वो एक के बदले दस सिर लाने वाला बयान लोगो को उत्तेजित करता था । लोग आज भी इस जुमले को शायद भूले नहीं होंगे।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के अंत मे गृहमंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि सीमा पर पिछली मनमोहन सरकार के बदले लगभग डेढ़ गुना जवान शहीद हुए।
अपने ही 2014 के सबसे बड़े 5 मुद्दों पर मोदी सरकार बुरी तरह फेल बस देश को बेवजह के मुद्दों में उलझा कर रखना चाहती है।
पब्लिक को बेवकूफ बनाकर देश का 10 साल बर्बाद कर दिया और देश को लूट लिया। अब भी ये सिलसिला जारी है।
संवाद;पिनाकी मोरे