विदेशो में मोदी जी का बहुत ही जोरो शोर से क्यों बज रहा है डंका? उनके सिस्टम की इतनी तारीफे हो रही है कि पूछिए ही मत, खुद ही पढ़ लीजिए।

रिपोर्टर:-
भारतीय प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) से देश में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर है। लोग अब सबसे बुरे हाल में जी रहे हैं।
अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड दोनों नहीं है।
6 हफ्ते पहले उन्होंने भारत को ‘वर्ल्ड फार्मेसी’ घोषित कर दिया, जबकि भारत में 1% आबादी का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।
-‘दी गार्जियन’।
भारत में आज कोरोना के मामले बेकाबू हो गए हैं।
अस्पतालों में बेड नहीं है।
प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन लग गया है।
सरकार के गलत फैसलों और आने वाले मुसीबत की अनदेखी करने से भारत दुनिया में सबसे बुरी स्थिति में आ गया, जो कोरोना को मात देने में एक सफल उदाहरण बन सकता था
-‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ।
‘ जिम्मेदारी उसके पास है, जिसने सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया। जिम्मेदारी उस मंत्रिमंडल के पास है,
जिसने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कहा कि देश में कोरोना के खिलाफ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी।
यहां तक कि टेस्टिंग धीमी हो गई। लोगों में भयानक वायरस के लिए ज्यादा भय न रहा।
टाइम मैगजीन ।
भारत में कोरोना की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह पाबंदियों में जल्द राहत मिलना है।
इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया। कुंभ मेला, क्रिकेट स्टेडियम जैसे इवेंट में दर्शकों की भारी मौजूदगी इसके उदाहरण हैं।
एक जगह पर महामारी का खतरा मतलब सभी के लिए खतरा है।
कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज्यादा खतरनाक है।
– ‘द वाशिंगटन पोस्ट।
ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू ने तो कुछ लिखने के बजाए एक कार्टून छाप दिया है जिसमे कार्टूनिस्ट डेविड रोव ने दिखाया है कि भारत देश जो कि हाथी की तरह विशाल है। वह मरने वाली हालत में जमीन पर पड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी पीठ पर सिंहासन की तरह लाल गद्दी वाला आसन लगाकर बैठे हुए हैं।
उनके सिर पर तुर्रेदार पगड़ी और एक हाथ में माइक है। वह भाषण वाली पोजिशन में हैं।