विश्वभर में हर वर्ष मई माह के दूसरे वीक में क्यों मनाया जाता है मातृ दिवस?

संवाददाता

विचारणीय..इसे अवश्य पढ़िए

बन्धुओ बहनों विश्व भर में मई माह के दूसरे रविवार को हर वर्ष मातृदिवस मनाया जाता है। आधुनिक परिवेश में कोई इससे अछूता नहीं रहता। चहुं ओर माँ से संबंधित संदेशों की होड़ लग जाती है।

पहले जब संयुक्त परिवार हुआ करते थे वहाँ कभी इन शब्दों को कहा नहीं जाता था अपितु कर्तव्य रूप में कार्यान्वित किया जाता है। वहीं एकल परिवारों के जन्म के पश्चात आधुनिकता की बयार ने इस सुगंध व भावों को कहीं दूर कर दिया है। आज कर्तव्य कृत्य नहीं होते अपितु शब्दों का प्रयोग होता है। यदि ऐसा न होता तो यह प्रश्न भी हमारे समक्ष नहीं आता।

मातृदिवस पितृदिवस हम एक दिन ही क्यों मनाते हैं?

वे किसके मजबूर माता पिता हैं जो वृद्धाश्रम में रहने जाते हैं..

साथ ही यह भी न कहना पड़ता…

वृद्ध माता पिता बोझ से क्यों नजर आते हैं?
बच्चों के घरों में मान सम्मान क्यों न पाते हैं?

यही माता पिता बच्चों की खुशी की खातिर
दिन रात वे बड़ी मेहनत से पसीना बहाते हैं।

वाकई बेहद शर्मनाक बात है कि बेटा अपनी पत्नी बच्चों के साथ सुविधा सम्पन्न घर में निश्चिंत हो कर रहता है वहीं अकेले असहाय वृद्ध माता पिता मान सम्मान प्रेम के अभाव में अवसादग्रस्त हो कर मौत के इंतज़ार में जीते हैं। जो हमारी नवीनतम संस्कारों के गृहीत करने के फलस्वरूप बढ़ते खोखलेपन को दर्शाते हैं।हमें इस पर गौर करना चाहिए।गर आप अपने बच्चों को यह संस्कार नहीं दे पाएंगे तो अपने वृद्धावस्था में क्या इससे कहीं ज्यादा चिंताजनक स्थिति में स्वयं को न पाएंगे।

हमें आज नया प्रण करना होगा व माता पिता को उच्चतम स्थान देना होगा जिसके वे हकदार हैं। मातृदिवस में हम यही कर सकते हैं..इस पर विचार अवश्य कीजियेगा।

और आप जो तीर्थो में मंदिरों में बड़े-बड़े साधुओं संतो के यंहा आशीर्वाद मांगने जाते हैं ना वँहा आपको आशीर्वाद नही मिलता क्योंकि आशीर्वाद मांगा नही जाता ना दिया जाता है ये कोई वस्तु नही है जो लिफाफा दक्षिणा दी और ले लिया..आशीर्वाद तो होता है.!
तीन टोंटियां है जंहा से आशीर्वाद निकलता है.. माँ..महात्मा..और परमात्मा।

इस युग मे परमात्मा मिलना मुश्किल है महात्मा मिलना और भी मुश्किल है..इसलिए ईश्वर ने कहा मेने माँ का निर्माण किया तो माँ के ह्रदय को प्रश्नन कीजिये अपने आचरण से व्यवहार से सेवा से फिर कंही आशीर्वाद मांगने की आवश्यकता नही पड़ेगी आशीर्वाद सदैव आपके सिर पर रहेगा माँ का।

ममतामयी माँ को भला हम शब्दों में कहाँ अभिव्यक्त कर पाएंगे। वह तो निर्मल अमृतमयी झरना है जो हर पल बहता रहता है अपने स्नेह से हमें भिगोता रहता है।दुनिया की कोई भी बुरी शक्ति इसके सामने टिक नहीं सकती।

संवाद :अमन पठान

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT