विश्व का सबसे अनोखा अदभुत , 4सौ साल पुराना रहस्यमई किला जिसके दरवाजे से आज भी टपकता है खून

संवाददाता

विश्व का अनोखा रहस्य, चंबल के बीहड़ों के बीच 400 वर्ष पुराना अटेर का किला जिसके दरवाजे से आज भी टपकता खून

रहस्ययमी किला का पुरानी कथाओं व महाभारत में दुर्ग का जिक्र

पंकज पाराशर छतरपुर

आज हम आपकों बताने जा रहे है ऐसे किले के बारे में जो अब तक रहस्ययमी रहा है। जिसके बारे में न तो आज तक आपने सुना होगा और न ही विश्व में देखा होगा। दुनिया से अनदेखा इस किले के बारे में हाल में शोधकर्ताओं ने इसके रहस्य को जाना है। किले का जिक्र पुरानी कथाओं में तो था ही।जानकारी से पता चला है कि यह किला 400 साल पुराना है।

जिसका जिक्र महाभारत के समय में भी हुआ है। इस किले से कई किवदंतियां जुड़ी हुई है जिसमें सोने व चांदी से भरे खाजाने के साथ ही हानियां तिलिस्म की और खजाने के कई रहस्य भी जुड़े हुए हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं चंबल के बीहड़ों के बीच 400 साल पुराना अटेर के किले की। वो किला जहां सदियों तक भदावर राजाओं ने शासन किया। इसी वंश के साथ रहस्य जुड़ा हुआ है जो अटेर के किले को और भी खास बनाता है। साथ ही इस किले से कई किवदंतियां जुड़ी हुई हैं।

महाभारत में है इस दुर्ग का जिक्र
अटेर का किले की सैकड़ों किवदंती, कई सौ किस्सों और न जाने कितने ही रहस्य को छुपाए हुए चुपचाप सा खड़ा दिखाई देता है। जैसे मानो अभी उसके गर्त में और भी रहस्य हों। महाभारत में जिस देवगिरि पहाड़ी का उल्लेख आता है यह किला उसी पहाड़ी पर स्थित है। इसका मूल नाम देवगिरि दुर्ग है। इस लिहाज से यह किला और भी खास हो जाता है।

खूनी दरवाजे से हर वक्त टपकता है खून

किले में सबसे चर्चित है यहां का खूनी दरवाजा। आज भी इस दरवाजे को लेकर किवदंतिया जिले भर में प्रचलित है। खूनी दरवाजे का रंग भी लाल है। इस पर ऊपर वह स्थान आज भी चिन्हित है जहां से खून टपकता है। इतिहासकार और स्थानीय लोग बताते है कि दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रखा जाता था। भदावर राजा लाल पत्थर से बने दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रख देते थे, दरवाजे के नीचे एक कटोरा रख दिया जाता था।

खजाने के लालच ने बर्बाद किया इतिहास

चंबल नदी के किनारे बना अटेर दुर्ग के तलघरों को स्थानीय लोगों ने खजाने के चाह मे खोद दिया। अटेर के रहवासी बताते हैं कि दुर्ग के इतिहास को स्थानीय लोगों ने ही खोद दिया है। इस दुर्ग की दीवारों और जमीन को खजाने की चाह में सैकड़ों लोगों ने खोदा है, जिसकी वजह से दुर्ग की इमारत जर्जर हो गई है।

भदौरिया शासक ने बनवाया ये रहस्मयी किला

अटेर के किले का निर्माण भदौरिया राजा बदनसिंह ने 1664 ईस्वी में शुरू करवाया था। भदौरिया राजाओं के नाम पर ही भिंड क्षेत्र को पहले बधवार कहा जाता था। गहरी चंबल नदी की घाटी में स्थित यह किलाा भिंड जिले से 35 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। चंबल नदी के किनारे बना यह दुर्ग भदावर राजाओं के गौरवशाली इतिहास की कहानी बयां करता है।

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