वोटों की ज्यादती वाला फर्क बेहद ही चोकनेवाला ही नही बल्कि एक घालमेल से जनदेश प्रभावित हुआ है सवाल खड़े हो रहे है कि वोटों की तादाद ज्यादा या कम कैसे हुई?

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

चुनाव आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध डाटा के अध्ययन के बाद एडीआर,वोट फॉर डेमोक्रेसी एवं स्वतंत्र पत्रकार पूनम अग्रवाल ने दावा किया है कि 2024 के चुनाव में जितने वोट पड़े उससे ज्यादा/ कम गिने गये हैं।

यह विसंगति एक दो लोकसभा क्षेत्रों में नहीं हुई है। 438 क्षेत्रों में पड़े मतों एवं गिने गए मतों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से भिन्नता पाई गई है। सिर्फ 4 लोकसभा क्षेत्रों में पड़े मतों की संख्या एवं गिने गए मतों की संख्या बराबर है ‌।

यह अंतर न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि चुनाव की शुचिता एवं निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
ईवीएम एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। यदि यह सही तरीके से काम कर रहा है तो मतदान के बाद बताई गई संख्या एवं गिने गए वोटों की संख्या में बढ़ोतरी या कमी कैसे संभव है ?

इसके बावजूद यह 438 लोकसभा क्षेत्रों में हुआ। इसका मतलब है कि कहीं न कहीं चुनावी प्रक्रिया में लगे लोग लापरवाही बरत रहे हैं या ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा है।

दोनों स्थितियों में चुनाव एवं उसके परिणाम के प्रभावित होने को नकारा नहीं जा सकता है।
सवाल यह नहीं है कि ऐसा होने से किस दल को सीटों का लाभ हुआ।
बल्कि इस घालमेल से जनादेश प्रभावित हुआ और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता कलंकित हुई है।

चुनाव आयोग के रवैए को देखते हुए यह शक होना लाजिमी है कि इससे भाजपा को फायदा हुआ होगा या उसे फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है।

एडीआर, वोट फॉर डेमोक्रेसी एवं पूनम अग्रवाल ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप कर जबाव तलब किया है। लेकिन आयोग ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

चुनाव आयोग को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए अन्यथा जनता में व्याप्त इस आशंका को बल मिलेगा कि आयोग ने एक भाजपा की सीटों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए यह मैनिपुलेशन किया है। जिसकी वजह से अचानक ही बाजी पलट दी गई और इंडिया गठबंधन की जीत होते हुए भी कैसे हार हो गई?

संवाद;पिनाकी मोरे

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