वो कौन राक्षस है ? जिसने लाॅकडाउन, क्वारंटाइन, मास्क,आक्सीमीटर, सोशल डिस्टेन्सिंग, सेनीटाइजर, पीपीई किट और कोरोना अंतिम संस्कार का षडयंत्र बनाया ?

रिपोर्टर
एक वायरल फीवर को महामारी किस आधार पर कहा ?
जबकि ईलाज नहीं होने के बावजूद लोग ठीक हो रहे हैं।
मरे इन्सान का पी एम नहीं करके मौत का असली कारण छुपा लिया गया,और हम कायर की तरह देखते रह गए !
मास्क लगवाकर आक्सीजन की कमी पैदा कर दी ।हमारे लिए पल्स आक्सीमीटर थमा दिया,और हम बेवकूफ बन गये है!
लाॅकडाउन की कोई हद नहीं है ,और हम गुलाम बन रहे हैं !
मनुष्य सामाजिक प्राणी है, मनुष्य को समाज से दूर कर दिया कि आपस में सलाह मशविरा ना कर सकें,और हम पागल बन रहे हैं !
चाहे कुछ भी हो जाए, हम अपनों की देखभाल बङे प्यार और आदर से करते थे।
हमारा यह अधिकार भी छीन लिया और हम जिंदा लाश की तरह जी रहे हैं ।
बिमार को सहायता चाहिए, लेकिन उसे उसके हाल पर अकेला कैद कर दिया जा रहा है.और हम बेशर्म नालायक बन रहे है।
WHO की गुलाम सरकार ने सर्दी खांसी और बुखार को महामारी बना दिया ,और हम डरपोंक की तरह तमाशा देख रहे हैं ।
डाॅक्टर भय का व्यापार कर रहे हैं ,और हम डाॅक्टर को भगवान बना रहे हैं !
कुछ गुलाम पी पी ई किट पहने भूत बनकर नरक का नाटक कर रहे हैं ,और हम सच में डर कर दुबके जा रहे हैं ।
हमें अच्छे से पता है कि लाॅकडाउन बर्बादी का रास्ता है ।और हम अपनी बरबादी को गले लगा रहे हैं!
ये कोरोना गाइडलाइन के नियम कायदे, कौन हरामखोर बना रहा है?
बे सिर पैर के नियम कायदों ने लोगों का जीना हराम कर दिया है, कार के अंदर अकेला आदमी मास्क पहने।
जब वैक्सीन लगने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं तो आखिर किसके दबाव में यह जहरीली वैक्सीन लगभग जबरदस्ती डरवा डरवा कर लोगों को लगवाई जा रही है,
जबकि कोई गारंटी लेने को तैयार नहीं है कि वैक्सीन लगवाने के बाद जान बचेगी या नहीं?
जब कोविड-19 वायरस का कोई इलाज ही नहीं है और आरटी पीसीआर टेस्ट कोरोना की जांच में निर्णायक नहीं है,
तो क्यों यह पॉजिटिव नेगेटिव का खेल खेला जा रहा है?
लाॅकडाउन करके क्यों लोगों की जिंदगी गुलामी की ओर ले जाई जा रही है?
क्या लोग अब किसी और रोग से नहीं मरते हैं ?
क्या अब किसी को हार्ट अटैक नहीं होता ?
क्या अब कोई कैंसर से नहीं मरता ?
क्या अब कोई ट्यूबरक्लोसिस से नहीं मरता ?
क्या अब कोई एक्सीडेंट और नशे से नहीं मरता ?
ज्यादातर लोग हॉस्पिटल में ही क्यों मर रहे हैं ?
अन्य बीमारियों से मरने वालों की संख्या क्यों नहीं उजागर कर रहे हैं ?
ये क्या षडयंत्र है ?
पूछता है भारत।