सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा है कि एएसआई द्वारा मस्जिदों की जांच की प्रथा को रोकना होगा!

रिपोर्टर:-
हम इस अनुचित आदेश के खिलाफ तुरंत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होने कहा कि हमारी समझ स्पष्ट है कि इस मामले को पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा रोक दिया गया है।
उपासना अधिनियम को अयोध्या के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जज संविधान पीठ ने बरकरार रखा है।
ज्ञानवापी मस्जिद की स्थिति, किसी तरह के प्रश्न से परे है।
उन्होने कहा ‘कानूनी सलाह के अनुसार कह सकते हैं कि सर्वेक्षण का आदेश उचित नही है क्योंकि तकनीकी प्रमाण केवल कुछ मूलभूत तथ्यों को ही पूरा कर सकते हैं।
इस मामले में पहले से कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, कि मस्जिद के स्थल पर पहले से मौजूद मंदिर था।
अयोध्या के फैसले में भी, एएसआई की खुदाई का कोई फायदा नहीं हुआ।
एएसआई को इस बात का सबूत नहीं मिला कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़ने पर बनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से देखा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं था।