हम इस बार 77सालाना यौमे आजादी का जश्न मना रहे है इसको लेकर एक अहम सवाल है कि क्या हम सब वाकई आजाद है?

एमडी
डिजिटल न्यूज चैनल और प्रिन्ट मीडिया
संवाददाता
अब्दुल सईद सुलतानी

जिनका जमीर जिंदा है वह अपने आप से एक सवाल जरूर पूछें कि क्या हम वाकई आजाद हैं हामारे
इस कुलासेवार प्रत्युत्तर है कि

1.आजाद होते तो पढ़ लिखकर बेरोजगारों की लाइन में नहीं खड़े होते ।
2.आजाद होते तो किसानों को सड़क पर नहीं आना पड़ता ।
3. आजाद होते तो हमारे आजाद देश में महिलाओं पर कथित अन्याय, अत्याचार और बलात्कार नहीं होते।।
4. आजाद होते तो ओबीसी, एससी, एसटी, माइनॉरिटी को अपने हक अधिकार को बचाने के लिए सड़कों पर अपनी जान गंवानी नही पड़ती ।
5.आजाद होते तो मजलूमों पर जुल्म करने वाले सलाखों के अंदर होते । अभी तो अपराधियों के खिलाफ एफआईआर तक भी नहीं लिखी जाती।

6. अगर हम आजाद होते तो भारत के मूल निवासियों पर RSS, और बजरंग दल नामक आतंकवादी संगठन जुल्म न कर पाते ।
7. और अगर हमारा देश आजाद होता तो भारत में कभी विदेशी ब्राह्मणों का कब्जा नहीं होता ।
भारत के मूल निवासियों पर विदेशी ब्राह्मणों द्वारा (गुलामी और जुल्म) की कहानी इतनी बड़ी है कि हमारे पास इतना वक्त नहीं है कि हम सब लिख सकें।

साथियों आंखों के साथ-साथ दृष्टि का होना भी बहुत जरूरी है ।
15 अगस्त 1947 को सिर्फ विदेशी ब्राह्मण आजाद हुए हैं हमारे लिए आजादी आज भी एक अफवाह है
यह आजादी झूठी है देश की जनता भूखी है । हमारे आजाद देश में सत्ताधारी सिर्फ कुर्सी हथियाने में मशगूल है। इस आजाद देश की करोड़ों जनता आज भी कई जुल्मी सितम से पीड़ित है।लेकिन सत्ताधारी लोगों को इसकी कोई परवाह नही है। बड़े ही शर्म की बात है।

संवाद
अफसर अली
प्रदेश प्रवक्ता राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा उत्तर प्रदेश

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