हुसैन अलैहिस्सलाम तुम्हे सारा ज़माना सलाम करता है
संवाददाता
किरदारें ईमाम हुसैन۰ रदियअल्लाह तआला अन्हो।
नामे “हुसैन” रदियअल्लाह तआला अन्हो लेते ही इस नाम वाली अज़ीम शख़्सियत से जुड़ी चन्द और अहम चीजें हमारे ज़ेहनों में घूमना शरू हो जाती हैं।
मसलन नवासए रसूल, प्यारे आकाﷺ के फूल, जन्नती नौजवानों के सरदार और जिगर गोशए ज़हरा ए बतूल, बहादुर बाप के बहादुर बेटे, हर मुआमले में अपने रब की रिज़ा चाहने वाले, दीने इस्लाम के लिए अपना सब कुछ लुटाने वाले, हक़ का बोल बाला करने और बातिल के सामने ना झुकने वाली एक बेमिसाल शख्सिय्यत, अपने रात दिन रब्बे करीम की इताअत व इबादत में गुज़ारने वाले अल्लाह पाक के एक ख़ास बन्दे, मैदाने जंग हो या फिर मैदाने अम्न व अमल दोनों ही में जिनका किरदार नाकिसों को कामिल होने की दावत देता और कामिलों की भी राहनुमाई- करता नज़र आता है। ऐसी बेमिसाल शख्सियत के मालिक इमामे हुसैन रदियअल्लाह तआला अन्हो है।
दुन्या के मौजूदा हालात के पेशे नज़र मैदाने जंग का मयस्सर आना और इसमें हुसैनी किरदार का अदा करना अगर्चे हर एक के बस की बात नहीं। मगर मैदाने अम्नो अमल अब भी हर एक के लिए खाली है, हर एक अब भी अमली तौर पर हुसैनी किरदार अदा करना चाहे तो कर सकता है, बल्कि हर एक को अदा करना भी चाहिए कि येह वक़्त की ज़रूरत भी है और मतलूबे शरीअत भी।
इमामे हुसैन रदियअल्लाह तआला अन्हो तो वक्त पर फ़ाइज़ो वाजिबात को अदा करें और कसरत से नफ़्ल नमाजें भी पढ़ें बल्कि भलाई के सारे काम ही कसरत से करें,. दुश्मनों के घेरे में रहकर भी नमाजें जमाअत से अदा करें और और इमामे हुसैन की मोहब्बत का दम भरने वाले अपनी अनमोल ज़िन्दगी नेकियों से दूर और गुनाहों में मसरूफ़ रहकर गुज़ारें, फ़राइज़ की अदाएगी को अहमिय्यत देने के बजाए दुन्या कमाने और दुन्या बनाने को ही अहम क़रार दें, इमामे मज़लूम तो दींन की सरबुलन्दी के लिए अपना सब कुछ कुरबान कर दें जबकि हम दुन्या की ज़लील दौलत के हुसूल की खातिर दींने इस्लाम के ही अहकाम की धज्जियां उड़ा दें।
शहीदे करबला तो पूरी दाढ़ी और इमामे वाले थे और हम दाढ़ी जैसी अज़ीम सुन्नत को मुंडवा कर नालियों में बहा दें, क्या मोहब्बतें हुसैन रदियअल्लाह तआला अन्हो इसी का नाम है ?अल्लाह पाक हमें हुसैनी किरदार को हक़ीकी मानों में अपनाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन।
साभार: मोहम्नद अफजल इलाहाबाद