04 दिन के नवजात शिशु को योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश सरकार से न्याय चाहिए ? क्या है पूरी मिस्ट्री !

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रिपोर्टर:-

यह दौर मानवता की रक्षा के लिए है , इसलिए हम – आप सभी सक्रिय हो, सरकारी मेडिकल कालेज ने इलाज के लिए किया इंकार , ऐसे में निजी चिकित्सालय में खर्चे की जिम्मेदारी ले सरकार !

लखनऊ / बहराइच / बलरामपुर : नीति आयोग के मानकों के अनुसार महादेश के सबसे पिछड़े इलाके के रूप में चिन्हित ‘ तराई ‘ के बलरामपुर जिले की एक महिला संगीता सिंह अपनी चिकित्सा के लिए बलरामपुर से बहराइच आती है। बलरामपुर में उसका स्वास्थ्य खराब होता है।
तो उसे उसके पति अच्छी चिकित्सा के लिए पड़ोस के जिले बहराइच में स्थित मेडिकल कालेज लाते है , जहां 28 जुलाई को वह एक शिशु को जन्म देती है।

लेकिन चिकित्साकर्मियों के गैर – जिम्मेदाराना कार्य – व्यवहार के चलते उसका स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
शिशु की बिगड़ती हालत के प्रति बहराइच मेडिकल कालेज के स्वास्थ्यकर्मियों की अगम्भीरता को देखते हुए ये लोग रात को 01 बजे लखनऊ के के.जी.एम.यू. की ओर रवाना होते है जहां वे 2.30 बजे रात में पहुंचते है।
बहराइच मेडिकल कालेज के स्वास्थ्यकर्मियों ने भले ही चिकित्सा की सुविधा नहीं उपलब्ध करा पाई हो लेकिन आते समय इस नवजात शिशु के पिता से खर्चा – पानी मांगना नहीं भूले।

के.जी.एम.यू.के आपात कक्ष में चिकित्सा के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति होती है।
एक 24 घंटे से भी कम आयु के शिशु को के.जी.एम.यू.में चिकित्सा नहीं मिलती है।
नवजात शिशु की माता संगीता सिंह और पिता अवधेश सिंह आपात कक्ष में मौजूद चिकित्साकर्मियों के सामने रोते है , गिड़गिड़ाते है लेकिन उनके उपर इसका कोई असर नहीं होता है।

बेड और वेंटी लेटर की अनुलब्धता बताकर के.जी.एम.यू.से इस नवजात शिशु को उसके माता -पिता के साथ बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
विवश माता – पिता अपने नवजात शिशु के जीवन की रक्षा हेतु राजधानी के एक निजी चिकित्सालय में शरण लेते है।
एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार यदि निजी चिकित्सालयों में उपचार हेतु जाता है तो उसे कैसे लूटा – खसोटा जाता है , यह किसी से छुपा नहीं है।

जाहिर है कि चिकित्सा व्यवस्था को समर्थ बनाने के लिए राज्य सरकार के जो दावें है , वे पुूर्णतया विफल है। 04 दिन के इस नवजात शिशु को समुचित उपचार देने में असफल योगी आदित्यनाथ सरकार को अपनी अक्षमता को स्वीकार करते हुए कम से कम निजी चिकित्सालय में हो रहे खर्चे को तो उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

 

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