फेफड़े व अन्य अंगों का नहीं हुआ था संपूर्ण विकास, तीन महीने की मेहनत के बाद स्वस्थ होकर घर लौटा नवजात

रिपोर्ट: सुरेंद्र मलनिया

साढ़े छः माह में जन्मे मात्र 650 ग्राम के शिशु को डॉक्टर अभिनव तोमर ने दी नई जिंदगी

बड़ौत/बागपत। डॉक्टरों को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है, और इस बात को आस्था हॉस्पिटल, बड़ौत में कार्यरत नियोनेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अभिनव तोमर ने सच साबित कर दिया। उन्होंने मात्र 650 ग्राम के एक साढ़े छः महीने में जन्मे नवजात शिशु को लगभग तीन महीने तक अस्पताल में उपचार देकर जीवनदान दिया।

समय से पहले जन्म और गंभीर स्थिति

बच्चे का जन्म मात्र छः महीने 15 दिन में हो गया था, जिस कारण उसके फेफड़े और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए थे। जन्म के समय उसका वजन मात्र 650 ग्राम था, जो सामान्य रूप से जन्म लेने वाले बच्चों से काफी कम था। इस नाजुक स्थिति में उसे तुरंत आस्था हॉस्पिटल, बड़ौत में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर अभिनव तोमर और उनकी टीम ने लगातार तीन महीने तक अथक प्रयास और विशेष चिकित्सा देखभाल कर उसे स्वस्थ किया।

तीन महीने की मेहनत के बाद मिला नया जीवन

बच्चे की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में रखा गया, जहां उसे अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं दी गईं। चूंकि बच्चे के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं थे, इसलिए उसे विशेष ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया। उसके शरीर में पोषण की कमी थी, जिसे धीरे-धीरे मां के दूध और अन्य पोषक तत्वों से पूरा किया गया। डॉक्टर अभिनव तोमर और उनकी टीम ने इस दौरान दिन-रात मेहनत कर इस नवजात को नया जीवन देने का काम किया।

परिवार ने डॉक्टर अभिनव तोमर को बताया ‘भगवान’

करीब तीन महीने की देखरेख और इलाज के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया और उसका वजन भी सामान्य हो गया। बच्चे के माता-पिता अशोक राणा और उनकी पत्नी, निवासी सिल्वर नगर, धनोरा, बागपत ने खुशी और भावुकता के साथ डॉक्टर अभिनव तोमर और उनकी टीम को भगवान का दर्जा दिया। उन्होंने कहा,
“हमने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन डॉक्टर अभिनव तोमर और उनकी टीम ने हमारे बच्चे को नया जीवन दिया। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। हम तहेदिल से उनका आभार व्यक्त करते हैं।”

आस्था हॉस्पिटल का नाम रोशन

इस अनोखे और चुनौतीपूर्ण उपचार से आस्था हॉस्पिटल, बड़ौत ने एक बार फिर अपनी सर्वोत्तम चिकित्सा सेवाओं को साबित कर दिया है। डॉक्टर अभिनव तोमर ने कहा, “समय से पहले जन्मे नवजातों को बचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, लेकिन सही देखभाल, समर्पण और आधुनिक तकनीकों की मदद से इसे संभव बनाया जा सकता है। हमारे लिए यह सिर्फ एक इलाज नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी थी।”

यह मामला मेडिकल साइंस की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुआ है, जहां मात्र 650 ग्राम के समय से पहले जन्मे नवजात को सफलतापूर्वक बचाया गया। यह न केवल डॉक्टर अभिनव तोमर और उनकी टीम की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सही चिकित्सा देखभाल और तकनीक से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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