बाबरी मस्जिद के बाद अब ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र पर आया कोर्ट का फैसला?

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वाराणसी:-रिपोर्टर.
सिविल जज (सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट,वाराणसी) आशुतोष तिवारी की कोर्ट में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के प्रार्थना पत्र पर 4 अप्रैल को सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.।
वहीं 4 अप्रैल को वादी और प्रतिवादी पक्ष की ओर से न्यायालय के समक्ष मामले में बहस की गई थी.।
बहस के बाद न्यायालय ने मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए फैसले के लिए आगे की तिथि आठ अप्रैल यानी आज की नियत की थी।

वहीं मामले में आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विस्तृत निर्देश दिया है और पुरातत्व विभाग,केंद्र सरकार इसका सर्वेक्षण अपने खर्चे पर करे।
उसकी आख्या प्रस्तुत करें.वहीं कोर्ट ने कहा है कि सर्वेक्षण करने के लिए अपने साथ पांच प्रख्यात पुरातत्व वेदत्ताओ को भी रखे।
जिसमे दो पुरातत्व वेदत्ता माइनॉरिटी के भी होने चाहिए।
इस प्रकार से विस्तृत निर्देश देकर के कोर्ट ने उस स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने व खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है।

2019 में ही दिया गया था प्रार्थना पत्र !

वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत में वादी पक्ष की तरफ से वर्ष 2019 से ही प्रार्थना पत्र देकर इस बात की प्रार्थना की गई है कि पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण केंद्रीय सरकार के पुरातत्व विभाग और उत्तर प्रदेश के पुरातत्व विभाग से कराया जाए।
इस बात का मौके पर सबूत लिया जाए कि 15 अगस्त सन 1947 को उस स्थान पर मंदिर का धार्मिक स्वरूप था या मस्जिद का।

पूरे ज्ञानवापी परिसर का साक्ष्य लिया जाए.ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करा लिया जाए.।
जो विवादित स्थल, नीचे के तहखाने, 14वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष व उसके पीछे जो भी ध्वंशावशेष है, उन सब के नीचे के साक्ष्यों को,
जो मंदिर के अवशेष हैं वह यथास्थान मौजूद हैं या नहीं और स्वयंभू विश्वेश्वर के मंदिर के जो अवशेष थे,
जिससे यह जाहिर हो कि यह जो विवादित ढांचा है, उसके पूर्व विश्वेश्वर मंदिर के अवशेष यहां मौके पर मौजूद रहे हैं या नहीं.

मामले में कोर्ट ने किया विस्तृत आदेश पारित !

वहीं उन्होने कहा कि मामले में आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विस्तृत निर्देश दिया है और पुरातत्व विभाग,केंद्र सरकार इसका सर्वेक्षण अपने खर्चे पर करे और उसकी आख्या प्रस्तुत करें।

वहीं कोर्ट ने कहा है कि सर्वेक्षण करने के लिए अपने साथ पांच प्रख्यात पुरातत्व वेदत्ताओ को भी रखे।
जिसमे दो पुरातत्व वेदत्ता माइनॉरिटी के भी होने चाहिए.
इस प्रकार से विस्तृत निर्देश देकर के कोर्ट ने उस स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने व खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है।

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